हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग तथा बहुद्देशीय परियोजनाएं एवं ऊर्जा राम सुभाग सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार हिमाचल को देश का सर्वश्रेष्ठ औद्योगिक हब बनाने की दिशा में कार्यरत है। प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने की असीमित सम्भावनाओं के दृष्टिगत यह प्रयास किया जा रहा है कि इस क्षेत्र में राज्य में ‘एक जिला-एक उत्पाद’ की अवधारणा को अपनाया जाए ताकि प्रदेश के सभी जिले खाद्य प्रसंस्करण में विशिष्ट रूप से स्थापित हो सकें। उन्होंने कहा कि एमएसएमई एक ऐसा सेक्टर है जहां आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत हर जिले और प्रदेश मे वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल और सोलन जिला में आत्मनिर्भर भारत के तहत अपार संभावनाएं हैं फ़ूड प्रोसेसिंग को लेकर। उन्होंने कहा कि बैठक में इन विषयों पर चर्चा की गई की प्रदेश में कैसे बड़ी परियोजना के चलते इन्वेस्टमेंट ला सकते है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का संदेश यह भी है कि कोविड की चुनौती को कैसे अवसर में बदला जाए और कैसे प्रदेश में इन्वेस्टमेंट लाई जाए। उन्होंने कहा कि भारत दूसरे देशों में अपनी निर्भरता को कम करें इसके लिए आत्मनिर्भर भारत एक अच्छी योजना है।
प्रदेश के प्रत्येक जिले में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में रोजगार एवं स्वरोजगार की व्यापक सम्भावनाएं:
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक जिले में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में रोजगार एवं स्वरोजगार की व्यापक सम्भावनाएं हैं। प्रदेश सरकार प्रयास कर रही है कि इस दिशा में राज्य में ‘हब एण्ड स्पोक’ माॅडल अपनाया जाए। उन्होंने कहा कि महत्वाकांक्षी आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने के लिए आगामी चार-पांच वर्षों में 10 हजार करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध करवाया जाना है। उन्होंने कहा कि ‘हब एण्ड स्पोक’ माॅडल के माध्यम से राज्य, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का प्रमुख केन्द्र बनेगा। उन्होंने जिला उद्योग केन्द्र को सोलन में टमाटर, मशरूम एवं बेमौसमी सब्जियों पर आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने की सम्भावनाएं तलाशने के निर्देश दिए।
आत्मनिर्भर भारत अभियान का मुख्य उद्देश्य कोविड-19 के कारण उत्पन्न चुनौती को अवसर में परिवर्तित करना :
राम सुभाग सिंह ने कहा कि महत्वाकांक्षी आत्मनिर्भर भारत अभियान का मुख्य उद्देश्य कोविड-19 के कारण उत्पन्न चुनौती को अवसर में परिवर्तित करना है। उन्होंने कहा कि भारत को विभिन्न अन्य देशों पर उद्योगों के लिए आवश्यक वस्तुओं के लिए अपनी निर्भरता को कम करना है। इसके लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए लघु एवं दीर्घ अवधि की अनेक योजनाएं प्रस्तुत की गई हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान के अन्तर्गत प्रदेश में अभी तक लगभग 1200 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए हैं। शीघ्र ही लगभग 800 करोड़ रुपये के और ऋण उपलब्ध करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं।