भाई-बहन के त्योहार रक्षाबंधन पर कोरोना की गाज

चाइना विवाद ने भी तोड़ी राखी व्यापारियों की कमर..

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रक्षाबंधन के त्योहार को अभी दो सप्ताह बाकी हैं और बाजार में राखी के स्टॉल लग चुके हैं जबकि बाजारों में राखी बाजार की रौनक अभी गायब है। बाजार में हर साल इस त्योहार पर महीने भर पहले ही बाजार में महिलाओं की भीड़ दिखाई देनी शुरु हो जाती है लेकिन इस वर्ष अभी बाजार खाली हैं। दुकानदारों का कहना है कि इस वर्ष राखी पर कोरोना की मार पड़ी है। लोगों में भी कोरोना संक्रमण को लेकर खौफ है। राखी विक्रेताओं का कहना है कि लोग जहां पांच-दस से राखियां खरीदते थे वहीं अब दो या चार ही राखी ले रहे हैं। वहीं चाइना विवाद को भी दुकानदार राखी बाजार के मंदे होने के लिए जिम्मेदार मान रहे हैं।

चाइना विवाद के चलते व्यापारी नहीं खरीद रहे राखी:

कुछ लोग चाइना उत्पाद के बहिष्कार को भी राखी बाजार का मंदा होना मान रहे हैं। खुदरा बाजार के व्यापारियों ने इसी विरोध के चलते चाइनीज राखियों की खरीददारी नहीं की है। उन्हें भी राखियों की बिक्री न होने का डर सता रहा है। चाइना विवाद के चलते लोगों में भी चाइनीज सामान के लिए रोष है और बहिष्कार कर रहे हैं। इसके चलते दुकानदार भी माल खरीदने से परहेज कर रहे हैं।

सरकार को करने होंगे प्रयास:

हालांकि चीन से सीधे राखी का आयात नहीं होता है, मगर राखियों में इस्तेमाल होने वाला सजावटी सामान जैसे कि फोम, स्टोन, पन्नी आदि चीन से आयात होते हैं। एक अनुमान के अनुसार करीब 1,000 से 1,200 करोड़ रुपये मूल्य के राखी से सजावटी आइटम चीन से आयात किए जाते हैं। इस संबंध में प्रिंस तनेजा नेे कहा कि चीनी बाजार से करोड़ों रूपये का सामान आयात कर भारतीय उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति की जाती है और ऐसे में चीन को टक्कर देना आसान नहीं है। इसके लिए सरकार को कड़े प्रयास करने होंगे और अपने उद्योग लगाने होंगे।

नया माल नहीं खरीदा गया:

वहीं तरुण ने कहा कि चाइना से केवल बच्चों के लिए बनी खिलौना राखियां ही लाई जाती हैं और इस बार किसी भी दुकानदार ने इस तरह की चाइनीज राखियां नहीं खरीदी है। उन्होंने कहा कि शिमला के दुकानदार राखियों की खरीद के लिए दिल्ली या कोलकाता के बाजार का ही रुख करते हैं लेकिन कोविड-19 के चलते कोई भी व्यापारी बाहर नहीं गया है। पिछले साल का ही माल इस बार दुकानों में बेचा जा रहा है।

राखी पर पड़ी कोरोना की गाज:

दुकानदार देवेंद्र ने कहा कि इस साल राखी के त्योहार पर कोरोना की गाज पड़ी है। माल बाहर से आने के कारण लोगों में राखी खरीदने को लेकर संक्रमण का डर है। उन्होंने कहा कि इस बार अभी 10 प्रतिशत ही काम हुआ है। दुकानदार रजत भी राखी के बाजार के मंदे होने का कारण कोरोना को मानते हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कोरोना के कारण लोग अपने घरों से कम ही निकल रहे हैं और साथ ही कोरोना ने महंगाई भी बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि प्रति डिब्बा 10 से 15 रुपये बढ़े हैं। पूर्व अध्यक्ष व्यापार मंडल रमेश सूद का भी कहना है कि कोरोना ने व्यापार को बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। लोगों को अपने दुकान का किराया निकालना भी मुश्किल हो रहा है। उन्होंने सरकार से छोटे दुकानदारों के लिए राहत की मांग की है।

व्यापारियों को व्यापार गति पकड़ने की उम्मीद:

फिलहाल अभी भाई-बहन के प्यार के प्रतीक रक्षाबंधन पर कोरोना की गाज गिरी है। दुकानदार भी उम्मीद लगाएं बैठे हैं कि शायद आखिरी सप्ताह राखियों की बिक्री गति पकड़े और भाई-बहन का यह त्योहार हर साल की तरह रौनक और उत्साह से भरा हुआ हो।

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