प्रदेश में घरों से दूर शहरों मे जॉब करने वालों मे से ज्यादातर लोग जहाँ-जहाँ अपना काम धंधा करते है वहीं अपना राशन कार्ड बनाते हैं, और जब से सरकार ने लॉकडाउन किया है उस दिन से सभी राज्य सरकारें तथा केंद्र सरकार फ़्री अनाज, गैस, ईएमआई जैसी रियायतें निरन्तर दे रही है तथा बिजली, पानी इंटरनेट जैसी बेसिक सुविधाएं भी निरंतर जारी हैं। एटीएम खुले हैं तथा हर प्रदेश में जरुरी वस्तुओं की सभी दुकाने खुली हूई हैं, और कई समाजिक संगठन से लेकर स्थानीय प्रशासन कोशिश कर रहा है की कोई व्यक्ति भूखा ना रहे इसलिये सरकार प्रदेश से बाहर भी जो-जो राज्य के ठहराव के भवन होते हैं, वहाँ अपने लोगों की खाने-पीने व रहने की व्यवस्था कर रही है तथा टोल फ़्री नम्बर भी लोगों की सुविधा के लिए जारी किये गए हैं। लेकिन इन सुविधाओं को देने उपरांत भी यह देखा जा रहा है की जो लोग पिछ्ले 5 .25 सालों से जिन मकानों में रह रहे थे उन्हें पिछ्ले 14 दिन में ही उन घरों में घुटन होना शुरु हो गयी है, और कुछ लोग बोल रहे हैं की उनका लॉकडाऊन होने के तीन दिन में ही उनका सारा राशन खत्म हो गया है और सोशल मीडिया पर दलील दे रहे है की जब विदेशों से लोगों को भारत लाया जा सकता है तो हमें भी अपने अपने गांवों में जाने दिया जाएं अगर इन सब का निचोड़ निकालें तो ये सारा मसला आज़ादी का है क्युंकि शहरों में पुलिस द्वारा आवाजाही पूरी तरह बन्द होने के कारण बहुत से लोग घुटन महसूस कर रहे हैं उन्हे वो जरुरी समान सेवन करने को नही मिल रहा, जिसके वो आदी हो चुके या खुले आसमान के नीचे घुमने के लिए गांव में आने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं। इस पुरे घटनाक्रम को देखें तो ये देश के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। एक तरफ हमारा जवान सियाचिन जैसे क्षेत्र में बर्फ में सालों ड्यूटी देता है तो दूसरी तरफ हमारे मैडिकल और पेरामैडिकल स्टाफ़ मुंह मे मास्क लगाये हॉस्पिटल में दिन रात सेवाएँ दे रहे हैं। इस समय इस महामारी से लड़ने के लिए देश को आपके संयम, त्याग और अनुशासन की जरुरत है तथा देश के प्रति यह आपका नैतिक कर्तब्य भी है, लेकिन जो लोग केवल अपने मनोरंजन के लिए गांव आना चाहते हैं क्युंकि गांवों में हर चीज की आज़ादी है तथा खाने पीने तक जुगाड़ हो भी जाता है, यानी ये वो लोग है जिन्हे कोरोना के प्रति अपनी जिम्मेवारी समझनी चाहिये थी, वो अपने स्वार्थ के लिए अपने देश और समाज को खतरे मे डाल रहे हैं। यह समय देश को इस महामारी से बचाने का है। सरकार ने आपसे केवल 21 दिन मांगे वो भी आपके परिवार, समाज और देश को इस बचाने के लिए, आज आप जहाँ हैं अगर आप वहीं रहते हैं, तो ना आपको कोरोना छु पाएगा ना आपके परिवार वालों को, फ़ैसला मित्रों आपको करना है अपने लिए जीना है या देश समाज के लिए।
लेखक: गुलेर सिंह, धर्मपुर, मंडी से संबंध रखते हैं और ये उनके निजी विचार हैंः