हिमाचल कैबिनेट की बैठक में आज प्रदेश सरकार ने की महत्वपूर्ण निर्णय लिए। बैठक में 10,000 पीटीए, पैट और पैरा टीचर को नियमित करने का बड़ा निर्णय लिया है। प्रदेश में वर्षों से रेगुलर होने का इंतज़ार कर रहे अध्यापकों के लिए यह निर्णय बड़ी राहत लेकर आया है। वहीं प्रदेश के बागवानों के लिए भी सरकार ने उनके उत्पादन के उचित मूल्य निर्धारित करने का निर्णय लिया है।
अध्यापकों को मिला नियमितीकरण का तोहफा:
कैबिनेट बैठक में प्रदेश सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। कई वर्षों से रेगुलर होने के अध्यापकों के इंतजार को आज विराम लग गया है। आज हुई बैठक में कोविड -19 महामारी के संकट के चलते सरकारी स्कूलों में सेवाएं दे रहे पीटीए ,पैट और पैरा अध्यापकों को नियमित करने का महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। इसके तहत 6500 पीटीए, 3300 पैट और 97 पैरा टीचर्स नियमित किए जाएंगे। नियमितीकरण का यह फैसला लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था ,जिस कारण सरकार इन अध्यापकों के नियमितीकरण को लेकर कोई फैसला नहीं कर पा रही थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले के बाद इन अध्यापकों के रेगुलर होने की राह आसान हो चुकी थी और अब सरकार ने इस फैसले को कैबिनेट में मोहर लगा दी है।
बागवानों को दिए जाएंगे उचित मूल्य:
वहीं बैठक ने प्रदेश के बागवानों को उनकी फसल के उचित मूल्य देने का निर्णय लिया है। कोविड -19 संकट के चलते बागवानों को मजदूरों से लेकर मंडी तक को समस्या ने चिंता में डाल दिया है। ऐसे में सरकार ने बागवानों की चिंता को देखते हुए उचित समर्थन मूल्य देने का फैसला लिया है। मंडी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत सेब समर्थन मूल्य में 50 पैसे की वृद्धि कर 8रुपये 50 पैसे प्रति किलो दाम तय किया गया है। योजना के तहत 15 जुलाई से 15 नवंबर तक 1.50 लाख मीट्रिक टन सेब खरीदा जाएगा। इसके लिए विभिन क्षेत्रों में 283 केंद्र खोले जाएंगे। वहीं आम की फसल के दाम भी 8 रुपये 50 पैसे तय किए गए हैं जबकि किन्नू, माल्टा और संतरे आदि के समर्थन मूल्य 7 रुपये प्रति किलो तय किए गए हैं।इस संबंध में 27 जून को सरकार ने बैठक बुलाई है।
पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए लिए गए ऋण पर ब्याज की छूट..
कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित हुए पर्यटन उद्योग के पुनर्जीवित करने के लिए कार्यशील पूंजी पर दिए जाने वाले ऋण पर ब्याज की छूट के लिए योजना प्रारूप को स्वीकृति प्रदान की गई। इस योजना के तहत 31 मार्च, 2020 तक एक करोड़ रुपये का जीएसटी चुकाने वाली पर्यटन इकाइयां 50 लाख रुपये तक के अधिकतम ऋण के लिए पात्र होंगी। इस अवधि तक कम से कम एक वर्ष तक एक करोड़ रुपये से तीन करोड़ रुपये तक जीएसटी चुकाने वाली पर्यटन इकाइयां 75 लाख रुपये तक ऋण लेने और तीन करोड़ रुपये से अधिक जीएसटी देने वाली पर्यटन इकाइयां एक करोड़ रुपये तक ऋण लेने तक पात्र होंगी। इसी प्रकार छोटी पंजीकृत पर्यटन इकाइयां 15 लाख रुपये तक के ऋण के लिए पात्र होंगी। ऋण अवधि चार वर्षों के लिए होगी जिसमें पहले दो वर्षों तक ब्याज में हर वर्ष 50 प्रतिशत छूट होगी। मंत्रिमंडल ने पर्यटन विभाग की तर्ज पर परिवहन विभाग में भी कार्यशील पूंजी के लिए ब्याज में छूट के लिए योजना लाने का भी निर्णय लिया।