विधायक शिमला ग्रामीण विक्रमादित्य सिंह ने एक बार फिर जयराम सरकार को कोविड-19 के मुद्दे पर जम कर घेरा है। आज पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार कोरोना पर नियंत्रण करने में पूरी तरह असफल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत करने की जगह “गो कोरोना” हवन करवा कर जनता के बीच गलत संदेश दे रही है। उन्होंने कहा कि गुडविल बनाने के प्रयासों में तुगलकी फरमानों पर बिना विचार किए मुख्यमंत्री फैसले न लें।
नाभा-नागपुर से न चलाए सरकार:
विक्रमादित्य ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नाभा और नागपुर से सरकार न चलाए बल्कि अपने प्रदेश की स्तिथि के अनुसार जनहित में फैसले लें। उन्होंने प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार केंद्र के तुगलकी फरमानों को बिना विचार किए लागू कर रही है। सरकार से शिकायत करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ बड़े और रसूखदार लोगों को खुश कर रही है और जनता से खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में जिस प्रकार से कोरोना के मामले बढ़े हैं इसका कारण सरकार के गलत फैसले लेना है। सरकार टूरिज़म के नाम पर बाहरी राज्यों से लोगों को बुला रही है जबकि 75 से 80 टूरिज़्म एसोसिएशन टूरिज्म इंडस्ट्री खोलने के पक्ष में नहीं है। सरकार प्रदेश के नागरिकों और बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों के लिए अलग-अलग मापदंड अपना रही है। उन्होंने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि सरकार बताए कि बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों के लिए बनाए गए मापदंडों को कौन देख रहा है। क्या सरकार के पास इस प्रकार का कोई इंफ्रास्ट्रक्चर है जिसके तहत तीन घंटे के भीतर टेस्ट कर लोगों को प्रदेश में प्रवेश दिया जा सके।
चिकित्सा सुविधाओं पर ध्यान दे सरकार :
उन्होंने भाजपा महिला मोर्चा द्वारा किए गए हवन पर पर भाजपा सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा की सरकार एक ओर तो लोगों को सामाजिक और धार्मिक आयोजन करने से मना कर रही है लेकिन स्वंय सरकार गो कोरोना के नाम पर हवन कर रही है। उन्होंने कहा कि इस वक़्त सरकार को राज्य में चिकित्सा सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए। पिछले तीन महीने से लोग सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे हैं और अब लोगों की भीड़ जमा कर ऐसे आयोजन करवाना सरकार की लापरवाही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस संबंध में जांच करवाने का आग्रह किया।
सरकार बताएं किस सेक्टर को कितना राहत पैकेज दिया :
उन्होंने कहा कि सरकार लगातार लोगों के रोजगार की बात कर रही है और विपक्ष भी चाहता है कि प्रदेश में रोजगार के साधन बढ़ें लेकिन सरकार बताए कि केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में से कितना पैसा प्रदेश सरकार को मिला है और सरकार ने इन रुपयों में से किस-किस सेक्टर में कितना पैसा दिया गया है? उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार अभी सरकार द्वारा किसी को कोई राहत नहीं दी गई है। उन्होंने सरकार से एक बार फिर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की और कहा कि सरकार बताएं कि किस सेक्टर को कितना राहत पैकेज दिया है।
पूर्व सरकार के कामों के ही रिबन काट रही सरकार:
उन्होंने कहा कि सरकार ने विकास के नाम पर जो बड़ी-बड़ी घोषणाएं की हैं, शिलान्यास किए हैं यह सभी घोषणाएं वीरभद्र सरकार द्वारा की गई हैं। उन्होंने कहा कि यह सभी प्रोजेक्ट्स पूर्व की कांग्रेस सरकार के हैं और वर्तमान सरकार सिर्फ रिबन काट रही है। उन्होंने कहा कि सरकार अभी तक के अपने ढाई वर्ष के कार्यकाल में कोई भी अपनी बड़ी घोषणा नहीं कर पाई है।
बागवानों की समस्या का नहीं हुआ निदान:
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि सरकार अभी तक बागवानों की समस्याओं का निदान नहीं कर पाई है जबकि सेब तुड़ान का समय बेहद नजदीक है। बागवानों को अभी तक लेबर और कार्टन की कमियों से जूझना पड़ रहा है। सरकार के लदानियों और आढ़तियों के साथ पूरी व्यवस्था करने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। सरकार मजदूरों का इंतज़ाम करने में विफल हुई है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार द्वारा बागवानों को दी गई 1144 करोड़ रुपये की लागत की बागवानी परियोजना की सौगात आज सरकार की नजरअंदाजी के कारण बंद होने के कगार पर खड़ी है वहीं 250 करोड़ रुपये की सिंचाई परियोजनाएं और कोल्ड स्टोर्स के लिए कोई कार्य नहीं किया गया है जिस कारण वर्ल्ड बैंक द्वारा सरकार को लताड़ लगाई गई है। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड बैंक ने सरकार को सभी परियोजनाओं को जल्द पूरा करने के लिए कहा है साथ ही भविष्य में किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता न देने का निर्णय भी बैंक ने लिया है।
सरकारी तंत्र को करे मजबूत:
विक्रमादित्य ने जयराम सरकार से अपने सभी विभागों को मजबूत करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपने स्वास्थ्य ,पुलिस, जिला प्रशासन को सुदृढ़ करें और कमियों को जानकर उन्हें दूर करने का प्रयास करें। सीमाओं पर लोगों की भलीभांति जांच हो और तीन घंटे के अंदर उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही प्रवेश की अनुमति दी जाए।