सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियनज़ राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए जा रहे मजदूर विरोधी संशोधनों व लाए गए अध्यादेशों के खिलाफ़ हिमाचल प्रदेश विधानसभा शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान डीसी शिमला के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया व अध्यादेशों को वापस लेने की मांग की गई। विक्ट्री टनल से शुरू हुई रैली विधानसभा चौक पहुंची।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि श्रम कानूनों में किये गए बदलाव व लाए गए अध्यादेश पूर्णतः मजदूर विरोधी हैं। इन अध्यादेशों से हिमाचल प्रदेश के 5175 पंजीकृत कारखानों में कार्य करने वाले 3,50,550 मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे। इन अध्यादेशों से लाखों ठेका मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा बिल्कुल नष्ट हो जाएगी। इन अध्यादेशों के परिणाम स्वरूप लाखों औद्योगिक मजदूरों की स्थिति बंधुआ मजदूरों जैसी हो जाएगी। इन अध्यादेशों के चलते नियमित किस्म का कार्य खत्म हो जाएगा व फिक्स टर्म कार्य के ज़रिए मजदूरों का भारी शोषण होगा। इन अध्यादेशों से न्यूनतम वेतन कानून के अनुसार बनने वाले मजदूरों के रिकॉर्ड की प्रक्रिया भी खत्म हो जाएगी। इन अध्यादेशों से मजदूरों के कार्य के घण्टे आठ से बढ़कर बारह हो जाएंगे जिस से न केवल कार्यरत मजदूरों का शोषण बढ़ेगा अपितु एक-तिहाई मजदूर रोज़गार से वंचित हो जाएंगे। इस तरह ये अध्यादेश पूरी तरह मजदूरों के खिलाफ हैं। ये अध्यादेश पूंजीपतियों,उद्योगपतियों व ठेकेदारों के हित में हैं व इस से मजदूरों का शोषण बढ़ेगा।
उन्होंने किए गए मजदूर विरोधी बदलावों को रद्द करने को मांग की है। उन्होंनेे कहा कि इसके कारण ठेकेदारों को खुली छूट मिलेगी व मजदूर कानून के दायरे से बाहर हो जाएंगे। इंडस्ट्रियल एम्पलॉयमेंट(स्टेंडिंग ऑर्डरज़)अधिनियम,1946 में स्थाई रोज़गार की जगह की गई मजदूर विरोधी फिक्स टर्म व्यवस्था को तुरन्त खत्म किया जाए। इस से मजदूरों का रोज़गार टेम्परेरी व अस्थाई हो जाएगा व वे ज़्यादातर कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। न्यूनतम वेतन अधिनियम,1948 की धारा 18 में मेंटेनेंस ऑफ रेजिस्टरज़ एन्ड रिकोर्डज़ में किये गए मजदूर विरोधी संशोधनों को खत्म किया जाए। इस से मजदूरों का रिकॉर्ड खत्म हो जाएगा व उन्हें कभी भी नौकरी से निकालना व दण्डित करना आसान हो जाएगा।