
हिमाचल प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले जैसे-जैसे बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे कोविड-19 के कम्युनिटी स्प्रेडिंग को लेकर लोगों में चिंता और डर का माहौल बढ़ता जा रहा है। प्रदेश सरकार भी इस वायरस के संक्रमण को लेकर कहीं न कहीं चिंतित नजर आ रही है साथ ही इससे निपटने में असमंजस की स्तिथि में भी साफ़तौर पर दिखाई दे रही है। अनलॉक-2 के बाद से प्रदेश में संक्रमण के मामलों में बढ़ी तेजी से वृद्धि हुई है। प्रतिदिन 50 से100 के बीच मामले आ रहे हैं।
अभी हाल ही में आए संक्रमण के मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार प्रदेश में फिर से लॉक डाउन लगाने पर विचार-विमर्श कर रही है। सरकार द्वारा जनता से भी इस संबंध में राय मांगी जा रही है। लोगों से कॉल के माध्यम से लॉक डाउन लगाने के सरकार के निर्णय पर उनकी सहमति-असहमति जानी जा रही है। जनता की प्रतिक्रिया के आधार पर ही सरकार प्रदेश में एक बार फिर लॉक डाउन लगाने का निर्णय करेगी।
लॉक डाउन की चर्चाओं का बाजार गर्म:
कोविड-19 संक्रमित मामलों में शून्य पर पहुंचने वाले हिमाचल में आज संक्रमित मामलों की संख्या 2330 पर पहुंच चुकी है। ऐसे में एक बार फिर लॉक डाउन लगने की स्तिथि से प्रदेश और उसकी जनता घिरती जा रही है। इन दिनों आम जनता के बीच लॉकडाउन को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोगों की चौपाल जहां भी लगती है वहां पर लॉक डाउन को लेकर चर्चा जरूर की जाती है। सरकारी-गैर सरकारी कर्मचारी हो या व्यापारी वर्ग या फिर दिहाड़ी दार मजदूर हो सभी की लॉक डाउन को लेकर अपनी-अपनी राय है। कोई लॉक डाउन के पक्ष में है तो कोई अब लॉक डाउन नहीं चाहता है लेकिन एक बात निश्चित है कि लॉक डाउन सभी में चर्चा का महत्वपूर्ण मुद्दा है। ढाबों ,बसअड्डे पर बैठे या फिर माल का चक्कर लगाते हुए लोग सभी की जुबान एक ही बात कहती हुई सुनाई देती है ” सुना फिर से शहर में लॉक डाउन लग रहा है”।
लॉक डाउन पर बंटे लोग:
लॉक डाउन लगने पर लोग अपनी-अपनी दलीलें दे रहे हैं। कुछ लॉक डाउन पर अपनी सहमति जता रहे हैं तो कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस फैसले से पूरी तरह असहमत हैं। इस मसले पर दो समूह बन गए हैं और अगर दोनों समूहों के तर्कों पर गौर किया जाए तो दोनों ही के तर्क सही लगते हैं। एक समूह लॉक डाउन की पैरवी करते हुए तर्क देता है कि इससे प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाया जा सकेगा वहीं दूसरे समूह जो इसके विरोध में है उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था की धीरे धीरे संभलती गाड़ी फिर एक बार पटरी से उतर जाएगी।
कोरोना की गति रोकने में होगा कारगर :
लॉक डाउन का समर्थन कर रहा समूह तर्क देते हुए कह रहा है कि लॉक डाउन से कोरोना के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाया जा सकेगा। पिछले कुछ दिनों में प्रदेश सहित शिमला जिले में भी कोरोना मामलों में लगातार वृद्धि हुई है जिसके तहत संजौली,बालूगंज, टूटू और समरहिल को सील कर दिया गया था। लोगों में भी कोरोना दहशत बढ़ता जा रहा है और धीरे -धीरे लोगों में लॉक डाउन लगाने पर सहमति बनती जा रही है। उनका मानना है इससे कोरोना का कम्युनिटी स्प्रेड नहीं होगा।
अर्थव्यवस्था फिर होगी डांवाडोल:
वहीं लॉक डाउन पर असहमति जताने वाले लोगों का कहना है कि अगर सरकार लॉक डाउन लगाती है तो जो अर्थव्यवस्था थोड़ी बहुत गति पकड़ रही है वह रुक जाएगी। सबसे ज्यादा मार दिहाड़ी दार मजदूरों और गरीब आदमी पर पड़ेगी। तीन महीने के बाद लोगों में आर्थिक स्तिथि के ठीक होने की उम्मीद नजर आई है और धीरे-धीरे लोग अपने सामान्य जीवन में लौट रहे हैं वह फिर डांवाडोल हो जाएगा। साथ ही इन लोगों का कहना है कि कब तक उधार ले कर खाएंगे।
डीसी शिमला ने कहा नहीं लगेगा लॉक डाउन:
वहीं डीसी शिमला अमित कश्यप ने लॉक डाउन लगाने को लेकर स्तिथि स्प्ष्ट करते हुए साफ़तौर पर कहा कि शिमला में लॉक डाउन नहीं लगाया जाएगा। शिमला में कोरोना संक्रमण की स्तिथि नियंत्रण में है और प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। उन्होंने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि लोगों को कोरोना से बिल्कुल भी घबराने की जरुरत नहीं है साथ ही उन्होंने लोगों से सावधानी बरतने की भी सलाह दी।