हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ ने कहा है कि अगर टैक्स में राहत तथा वर्किंग कैपिटल की राशि को शीघ्र जारी नहीं किया जाता है तो हिमाचल प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर 15 दिसंबर के बाद संघर्ष का रास्ता अपनाएंगे और अनशन का रास्ता तो अपनाएंगे ही साथ ही आत्मदाह से भी नहीं पीछे नहीं हटेंगे। आज जारी एक बयान में हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पराशर ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश सरकार प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर से सौतेला व्यवहार कर रही है, हिमाचल में अन्य क्षेत्र के रूप में यातायात सेवाएं दे रही एचआरटीसी को 353 करोड़ रुपए की राहत सरकार ने दी है जबकि निजी बस ऑपरेटर पर लगातार नए से नए कानून थोपे जा रहे हैं।
घोषणाएं तो हो रही पर उनको नहीं पहनाया जा रहा अमलीजामा:
राजेश पराशर ने कहा कि कोरोना मामलों के बावजूद पड़ोसी राज्य पंजाब में भी लोग बाहर निकल रहे हैं और बस सेवा का उपयोग कर रहे हैं लेकिन पंजाब सरकार इसके बावजूद भी निजी बस ऑपरेटर्स का 31 दिसंबर 2020 तक एसआरटी माफ कर दिया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आज तक काम कर रहे थे लेकिन अब पानी सिर से ऊपर जा चुका है तथा सरकार द्वारा बार-बार आश्वासन देने के बाद भी उनके द्वारा की जा रही घोषणाओं को अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। उन्होंने कहा है कि मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार द्वारा निजी बस ऑपरेटरों को 200000 रुपये का राहत पैकेज देने का जो फैसला मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया था और,यह राशि लोन के रूप में दी जानी थी और दो वर्ष के अंदर यह लोन निजी बस आपरेटरों द्वारा वापस किया जाना था लेकिन अभी तक इस घोषणा को अमलीजामा नहीं पहनाया गया है जिस कारण हिमाचल प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर परेशानी का सामना कर रहे हैं।
सरकार दे रही मात्र कोरे आश्वासन:
उन्होंने परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर पर काम न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश के निजी बस ऑपरेटर्स कई बार मिले लेकिन उन्होंने अभी तक कोई भी काम नहीं किया है। बल्कि उन्होंने यह कहा कि अगर बार-बार वह उनसे मिलते रहेंगे तो काम कब करेंगे? उन्होंने कहा कि उनको तीन से चार महीने परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाल कर हो गए हैं लेकिन अभी तक निजी बस ऑपरेटर्स की परेशानियों से संबंधित एक भी बैठक नहीं की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से भी वह कई बार मिले हैं लेेेकिन मुख्यमंत्री कोरे आश्वासन दे रहे हैं कि वह निजी बस ऑपरेटर्स की परेशानी से भलीभांति परिचित है और जल्द ही निजी बस ऑपरेटर्स को राहत देंगे।
दी चेतावनी: ऑपरेटर्स आत्मदाह और आमरण अनशन करने को तैयार :
राजेश पराशर ने कहा कि अब पानी सिर से ऊपर चला गया है उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अब संघ के पास केवल आंदोलन का रास्ता बचता है। उन्होंने कहा अगर 15 दिसंबर तक सरकार बस ऑपरेटर्स की मांगे नहीं मानती है तो निजी बस ऑपरेटर आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगी जिसमें कि निजी बस ऑपरेटर आत्मदाह और आमरण अनशन तक करने को तैयार है।
50% क्षमता के साथ बसे चलाने का फैसला ले वापस:
उन्होंने मांग करते कहा कि सरकार ने 50% क्षमता में बसे चलाने का आदेश बसों में लगाया है यह फैसला तत्काल प्रभाव से वापस लिए लिया जाए। जैसे ही 50% क्षमता में बसे चलाने का आदेश सरकार द्वारा दिया गया है उसके बाद लोग ज़्यादा डर गए हैं जिस कारण बसों में 10 से 15% सवारिया ही बैठ रही है। उन्होंने कहा कि यह फैसला तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाना चाहिए।
सवारियों की जिम्मेदारी, करें दिशा निर्देशों का पालन:
उन्होंने कहा कि सरकार का आदेश है कि बिना मास्क के कोई भी सवारी बस में बैठती है तो उसके लिए बस का चालक एवं परिचालक जिम्मेदार होंगे और परिचालक के खिलाफ मुकदमा दायर किया जाएगा । पराशर ने इसे तुगलकी फरमान बताते हुए कहा कि सवारियों की भी जिम्मेदारी बनती है कि सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करें और कोरोना वायरस जैसी महामारी से खुद भी बचें और अन्य लोगों के जीवन का भी बचाव करें। उन्होंने कहा कि मास्क न पहनने का मुकदमा सवारी पर होना चाहिए ना कि बस के परिचालक पर। उन्होंने कहा कि सरकार को दोबारा इस निर्णय पर विचार विमर्श करना चाहिए अन्यथा हिमाचल प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर 15 दिसंबर के बाद आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे ।