एकमात्र राज्य स्तरीय मातृ एवं शिशु गृह कमला नेहरू अस्पताल हमेशा सरकारी अनदेखी और लापरवाही का शिकार पहले से ही रहा है। अस्पताल जरूरी सुविधाओं की कमी से जूझता रहा है। कभी पर्याप्त बिस्तरों की कमी, एक बैड पर तीन-तीन महिलाएं, स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी, मरीजों को टैस्ट करवाने के लिए आईजीएमसी भेजने आदि जैसी समस्याओं से जूझता रहा है और अब एक नया मामला आया है। अस्पताल के 17 करोड़ से बने नए भवन की चौथी मंजिल में शनिवार रात सीवरेज का गंदा पानी घुुुस आया। जिस कारण वहां दाखिल मरीजों को खासी परेशाानियों का सामना करना पड़ा जिसने अस्पताल प्रबंधन तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल कर रख दी। इस संबंध में अस्पताल के ही एक मरीज ने वीडियो बना कर वायरल किया साथ ही माकपा के राज्य सचिवमण्डल सदस्य डॉ.कुलदीप सिंह तंवर के संज्ञान में मामला लाया। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ई-ज्ञापन दिया और कमला नेहरू अस्पताल की स्थिति का तुरंत अवलोकन करने तथा व्यवस्था को सुधारने के लिए बिना विलंब हस्तक्षेप करने की मांग की है।
यह है मामला:
करीब 17 करोड़ की लागत से बने भवन में सालभर के अंदर ही सीवरेज व्यवस्था, बाथरूम व शौचालय से निकलने वाले पानी से अस्पताल की चौथी मंजिल में 30 से ज्यादा बिस्तरों वाले एंटी नेटल वार्ड में सीजेरियन हुई महिलाओं व अन्य मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। 6 जून रात्रि अस्पताल से एक मरीज द्वारा वायरल किए विडियो ने अस्पताल प्रबंधन तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल कर रख दी।
साल भर पहले उद्घाटित भवन की चरमरायी व्यवस्था :
अस्पताल के इस नए भवन का साल भर पहले ही उद्घाटन किया गया है लेकिन इसकी स्वच्छता प्रबंधन अभी से ही चरमरा गई है। यहां बंदरों-लंगूरों के छलांग लगाने के कारण छत का नीचे आना, खिड़कियों से छत का पानी कमरों के अंदर आना, बाथरूम व शौचालय का चॉक हो जाना आदि समस्याएं आए दिन रहती हैं। भवन की मरम्मत की जिम्मेदारी संबंधित ठेकेदार की है लेकिन इसकी मरम्मत की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
माकपा राज्य सचिव तंवर ने उठाए सवाल:
एक मरीज द्वारा माकपा के राज्य सचिवमण्डल सदस्य डॉ.कुलदीप सिंह तंवर से हस्तक्षेप की अपील पर संज्ञान लेकर स्थिति का जायजा लिया तथा महिलाओं के इस एकमात्र राज्य अस्पताल की अनदेखी एवं सरकार के सौतेले रवैये पर डॉ.तंवर ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आज भी कोविड-19 महामारी के संकट के चलते न तो मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पा रही हैं तथा न ही हर महिला को स्वतंत्र बैड।
बदहाल सीवरेज, शौचालय व छत से पानी की समस्या कोई नई समस्या नहीं है। ऐसे में शंका होती है कि चाहे अस्पताल व्यवस्था की बात हो या कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा का सवाल हो, इसमें सरकार, प्रशासन एवं ठेकेदारों की मिलीभगत से आम मरीजों, स्वास्थ्यकर्मियों व आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ती है।डॉ तंवर ने जानकारी देते हुए बताया कि कमला नेहरू अस्पताल में अलग से कोविड वार्ड बनाने से दो वार्डों को बंद किया गया जिसमें करीब 55 मरीजों की संख्या का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है और इसके अलावा रिपन अस्पताल को कोविड अस्पताल घाषित करने से प्रसूता महिलाओं तथा अन्य क्षेत्रों से भी मरीजों क आने से संख्या भी बढ़ गई है। ऐसे में सीमित स्टाफ होने क कारण स्वास्थ्य कर्मियों पर भी अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है। लेकिन हैरानी की बात है कि सरकार द्वारा जन स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा व्यवस्था व सुविधाएं बढ़ाने की बजाए इन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया है। आजकल सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक ही यातायात चलने के कारण स्वास्थ्यकर्मियों, चतुर्थ श्रेणी, सफाई कर्मियों, सुरक्षाकर्मियों आदि या तो पैदल जाने को मजबूर है या फिर अत्याधिक खर्चे पर टैक्सियां लेनी पड़ रही है। जिससे कि इन कर्मियों पर कोरोना फंड सरकारी खजाने में देने के बावजूद दोहरा बोझ पड़ रहा है। इसके साथ ही अस्पताल में सेनेटाईजेशन तथा सफाई व्यवस्था के भी पर्याप्त इंतजाम नही हैं। कोविड डयुटी पर तैनात कर्मियों के भी पुख्ता सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं।
ई-ज्ञापन द्वारा मुख्यमंत्री से की शीघ्र हस्तक्षेप करने की मांग:
माकपा राज्य सचिवमंडल सदस्य डॉ. तंवर ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को ई-ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने कमला नेहरू अस्पताल की स्थिति का तुरंत अवलोकन करने तथा व्यवस्था को सुधारने के लिए बिना विलंब हस्तक्षेप करने की मांग की है।