पावर हाउस की टर्बाइन को नुकसान से बचाने के लिए बीएसएल जलाशय से सिल्ट निकालना जरुरी : बीबीएमबी

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सुंदरनगर : बीबीएमबी प्रबंधन द्वारा सिल्ट को जलाशय से बाहर निकाल कर पावर हाउस में चलने वाली टर्बाइन को नुकसान से बचाया जाता है। वर्ष 2004 से पूर्व बीबीएमबी जलाशय में 12 महीने सिल्ट की ड्रेजिंग की जाती थी लेकिन हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद मानसून के समय तीन महीने सिल्ट निकासी का कार्य किया जाता है। इस सिल्ट को जलाशय के साथ बहने वाली सुकेती खड्ड में फैंकें जाने के कारण लोगों द्वारा इसका विरोध भी किया जाता है। लेकिन बीबीएमबी प्रबंधन इस सिल्ट निकासी की निकासी को लेकर पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और इस कार्य को वैज्ञानिक तरीकों से किया जाता है। ड्रेजिंग प्रक्रिया पर जानकारी देते हुए बीएसएल परियोजना सुंदरनगर के डिप्टी चीफ इंजीनियर सर्कल-1 ई. आर.डी.सावा ने कहा कि उन्होंने कहा कि बीबीएमबी झील में की जाने वाली ड्रेजिंग का लक्ष्य डेहर पावर हाउस में चल रही टर्बाइन को सील्ट मुक्त पानी पहुंचाना है। इसके माध्यम से सील्ट को जलाशय से निकाल कर वापिस सुकेती खड्ड चैनलाइजेशन से वापिस ब्यास में भेज दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए बीबीएमबी द्वारा 3 ड्रेजर लगाए गए हैं, जिसमें आईएचसी-1500, एफएल-1800 और आईएससी-996 लगाए गए हैं। ई. आर.डी. साबा ने कहा कि ड्रेजिंग को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के निर्णय के दिशानिर्देशानुसार बीबीएमबी द्वारा मानसून के समय 3 महीने जब सुकेती खड्ड में भरपूर पानी मौजूद होने के बाद सील्ट को वापिस ब्यास नदी में पहुंचाया जाता है।
आर.डी. सावा ने कहा कि ड्रेजिंग प्रक्रिया 1 जुलाई से शुरू की जाती है। उन्होंने कहा कि सुकेती खड्ड के बहाव की मानिटरिंग के लिए अधिकारी डडौर में मौजूद रहते हैं। अगर सुकेती खड्ड में पानी का बहाव अत्याधिक होने पर भी ड्रेजिंग प्रक्रिया रोकनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि ड्रेजिंग प्रक्रिया पूर्ण रूप से साइंटिफिक है और इसमें लोगों को कम से कम नुकसान पहुंचने की कोशिश की जाती है। अगर तब भी किसी को नुकसान पहुंचता है तो इसका मुआवजा भी दिया जाता है।

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