नागरिक सभा और निर्माण कर्मी फेडरेश ने आज मनरेगा और निर्माण मांगों के खिलाफ आल इंडिया स्तर पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसी के चलते प्रदेश में भी जिलाउपायुक्त कार्यालय शिमला के सामने जोरदार घेराव किया। सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए कर्मियों कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लेबर कोर्ट में 44 श्रम कानूनों से लगातार छेड़छाड़ की जा रही है जो कि एक दम गलत है। फेडरेशन ने कहा कि इससे मजदूरों के हितों का हनन होगा। फेडरेशन ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने कानूनों के साथ छेड़छाड़ बंद नहीं की तो देश भर में व्यापक धरना प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कि मजदूरों को 600 रुपयों के हिसाब से दिहाड़ी दी जाए और लॉक डॉउन के समय सभी मज़दूरों को मुफ्त राशन और उनके बैंक खातों में 7500 सो रुपए प्रति महीने की दर से सहायता प्रदान करने की मांग की।
महासचिव बाबू राम ने कहा कि केंद्र सरकार द्धारा कल्याण कानूनों व राज्य स्तर पर बने श्रमिक कल्याण बोर्डों को भंग करने की योजना बनाई जा रही है जिससे निर्माण व मनरेगा मज़दूरों को मिल रही सहायता बन्द हो जाएगी। यदि ऐसा किया गया तो हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से पंजीकृत प्रदेश के लाखों मजदूरों को लैम्प, साईकल, कंबल, टिफ़िन, वाटर फिल्टर, डिन्नर सेट, बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कालरशिप व विवाह के लिए सहायता राशी के अलावा मैडिकल व प्रसूति प्रसुविधा,
60 साल के बाद पेंशन औऱ मृत्यु होने पर मिलने वाली लाखों रुपए की सहायता बन्द हो जाएगी प्रदर्शनों के माध्य्म से सरकार से मांग की गई और चेतावनी दी गई कि यदि मज़दूरों के कल्याण के लिए बने क़ानून और कल्याण बोर्डों को खत्म किया गया तो आने वाले समय में मज़दूर सड़कों पर उतर कर विरोध करने के लिए मजबूर होंगे।
हिमाचल प्रदेश निर्माण मज़दूर फ़ेडरेशन के जिला महासचिव बाबू राम ने बताया कि केंद्र की मोदी सरकार लगातार मज़दूर विरोधी फैसले ले रही है और अब उसने मनरेगा और निर्माण मज़दूरों के कल्याण के लिए सयुंक्त मोर्चे की सरकार द्धारा 1996 में बने क़ानून को ही बदलने का फ़ैसला ले लिया है जिसका आज देशव्यापी विरोध किया गया।
बाबू राम ने कहा कि फ़ेडरेशन मनरेगा मज़दूरों को साल में दो सौ दिनों का काम और 600 सौ रुपये मज़दूरी की भी मांग सरकार से कर रही है। इसके अलावा कोरोना महामारी के कारण हुए लॉक डॉउन के समय सभी मज़दूरों को मुफ्त राशन और बैंक खातों में 7500 सो रुपए प्रति महीने की दर से सहायता प्रदान करने की भी मांग सरकार और श्रमिक कल्याण बोर्ड शिमला से की है। उन्होंने ये बताया कि हिमाचल प्रदेश में मार्च, अप्रैल और मई माह के जो दो दो हज़ार रुपये की सहायता राशि मिलनी है वह भी अभी तक सभी मज़दूरों को नहीं मिली है जिसे जल्दी जारी किया जाये और 1979 का अंतरराज्य प्रवासी मजदूर अधिनियम व 1996 का भवन एवं अन्य सहनिर्माण कामगार अधिनयम में किसी भी तरह का बदलाव ना करे । यूनियन मांग करती है कि हर मजदूर को 10 किलो का राशन दिया जाए ओर बिना आयकर दाता के मजदूरों को महीने का 7500 रुपए की मासिक सहायता दी जाए।
प्रदर्शन में सीटू राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा सीटू जिला सचिव बाबू राम,बालक राम,विनोद ,सुरिंदर बिट्टू,सलमान,हेमलता ,संदीपा,रामप्रकाश,प्रताप,रवि और हनी मौजूद रहे।