
हिमाचल प्रदेश मिड डे मील वर्कर्स यूनियन ने आज जिलाउपायुक्त कार्यालय के समक्ष जोरदार धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान मिड डे मील वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर मोदी सरकार और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यूनियन ने देश-प्रदेश सरकार के समक्ष अपनी मांगों को रखा है और जल्द से जल्द पूरा करने की मांग की है । यूनियन ने 8250 रुपये द मासिक वेतन देने की मांग के साथ ही कोरोना संकट में सेवाएं देने के लिए जोखिम भत्ता दिए जाने की भी मांग की। साथ ही सरकार द्वारा मल्टी टास्क वर्कर की नियुक्तियों को लेकर भी कड़ा रोष व्यक्त किया है।
यूनियन की महासचिव हिमी देवी ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार लगातार मिड डे मील वर्कर्स का शोषण करते आ रही है। कोरोना काल में सरकार आइसोलेशन वार्ड में मध्यान्ह भोजन देने का कार्य ले रही है और वर्कर्स भी अपनी जान जोखिम में डाल कर लगातार कोरोना संक्रमितों को भोजन देने का काम कर रहे हैं लेकिन सरकार वर्कर्स को किसी भी प्रकार का जोखिम भत्ता नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि मंहगाई के दौर में सरकार मात्र 3300 रुपये वेतन देकर काम करवा रही है और वहीं प्रदेश सरकार केवल 2300 रुपये वेतन दे रही है। प्रदेश सरकार ने 1अप्रैल 2020 को मिड डे मील वर्कर्स का वेतन 300 रुपये बढ़ाया लेकिन उसे अभी तक पूरे प्रदेश में लागू नहीं किया गया। उन्होंने जल्द से जल्द इसे लागू करने की मांग की।
साथ ही उन्होंने 7862 मल्टी टास्क वर्कर के रूप में हो रही भर्तियों का कड़े शब्दों में विरोध किया है। उन्होंने कहा कि पिछले 17 वर्षों से मिड डे मील वर्कर्स स्कूलों में काम कर रहे हैं और सरकार को इन्हें ही यह कार्य देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक बेहद गरीब तबके का समूह है जो मिड डे मील स्कीम के तहत रोजगार कमा रही है। हिमी देवी ने मासिक वेतन 8250 रुपये करने की मांग करते हुए कहा कि प्रसूति कर्मचारियों को वेतन सहित छुट्टियां देने का प्रावधान किया जाए। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सरकार मिड डे मील वर्कर्स को नियमित कर्मचारी का दर्जा और 12 महीने का वेतन भी दें ।
हिमी देवी ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया तो यूनियन देश-प्रदेश में कड़ा आंदोलन करेगी।