मंडी : हिमाचल प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में एक दर्द भरी दांस्ता देखने को मिली है। जहां एक ओर प्रदेश सरकार द्वारा दिव्यांगों के उत्थान के लिए संचालित कई योजना चलाई जा रही है लेकिन इन योजनाओं के लाभ से करसोग क्षेत्र का एक 8 वर्षीय बच्चा महरूम है। चलने फिरने से लाचार दिव्यांग बच्चा मंडी जिला के उपमंडल करसोग के पांगणा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मशोग का रहने वाला है। दिव्यांग बच्चे मनीष की उम्र मात्र 8 वर्ष है और दूसरी कक्षा में पढ़ता है। मनीष की 3 बहने हैं और ये परिवार अनूसूचित जाति और आईआरडीपी से संबंधित है। मनीष पैदा होने के बाद से ही चलने फिरने में पूरी तरह से असमर्थ है।
वेलफेयर कार्यालय करसोग के लगा चुके हैं माता-पिता सैंकड़ों चक्कर:
अपने दिव्यांग बच्चे को सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए मनीष के माता-पिता दुर्गम क्षेत्र मशोग से वेलफेयर कार्यालय करसोग के सैंकड़ों चक्कर लगा चुके हैं लेकिन आज दिन तक उनके हाथ पूरी तरह से खाली हैं। परिवार ने अपनी जमापूंजी और रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर दिव्यांग के इलाज के लिए खर्च कर दिए हैं। अब इनके पास कुछ भी नहीं बचा है और परिवार को अपने बेटे के जीवन यापन के लिए मात्र अब सरकारी योजनाओं पर ही आस टिकी हुई है।
पिछले दस महीनों से चल रहा इलाज,नहीं बची पाई भी:
दिव्यांग बच्चे मनीष के पिता नरेश कुमार ने कहा कि उनका लड़का पिछले 5 वर्षों से बीमार चल रहा है। बच्चे का इलाज नागरिक चिकित्सालय करसोग, सुंदरनगर, आईजीएमसी शिमला और पीजीआई चंडीगढ़ में पिछले 10 महीनों से चल रहा है। उन्होंने कहा कि उनके पास और रिश्तेदारों से उधार लिए गए पैसे भी अब खत्म हो गए हैं। अब उनके पास कुछ भी नहीं रहा है।
विभाग की अनदेखी का करना पड़ रहा सामना:
नरेश कुमार ने कहा कि उन्हें उनकी पंचायत मशोग या अन्य किसी भी सरकारी संस्थान से कोई भी सुविधा नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा कि उनके बेटे मनीष की 6 माह की उम्र से टांगे काम नहीं करती हैं और यह बिल्कुल चलने फिरने में असमर्थ है। उनका बेटा 75 प्रतिशत अपंग है। उन्होंने कहा कि उनके बेटे को विभाग द्वारा कोई भी सुविधा का प्रावधान नहीं किया जा रहा है और उन्हें विभाग की अनदेखी का सामना करना पड़ रहा है।
स्थाई दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्रदान कर दी जाएं सरकारी सुविधाएं:
दिव्यांगजनों के कानूनी सलाहकार कुशल कुमार सकलानी ने कहा कि जिला मंडी के पांगणा क्षेत्र का रहने वाला मनीष 75 प्रतिशत दिव्यांग है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिव्यांगता प्रमाण पत्र भी जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि जन्म से ही चलने फिरने में असमर्थ होने के बावजूद मनीष सरकार के द्वारा जाने वाली सभी सुविधाओं से वंचित है। सकलानी ने जिला चिकित्सा बोर्ड मंडी से मांग की है कि इस दिव्यांग बच्चे को स्थाई दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्रदान कर सरकारी सुविधाएं प्राप्त करने के लिए योग्य किया जाए।
बयान :
मामले को लेकर जब तहसील वेलफेयर आफिसर करसोग भोपाल भारत से दूरभाष के माध्यम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकारी नियमों के अनुसार अस्थाई दिव्यांगता में बस पास के अलावा कोई और सुविधा दिव्यांगजन को नहीं मिल सकती है। उन्होंने कहा कि मेडिकल बोर्ड के द्वारा मनीष को स्थाई दिव्यांग प्रमाण पत्र देने पर योजनाओं की सुविधाएं मुहैया करवा दी जाएगी।