धर्मशाला शहर से करीब 13 किमी दूर है धनोटू गांव। इस गांव के रोबिन सिंह यूएसए में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी करते थे। रोबिन डेढ़ साल पहले यूएसए से गांव लौटे। पहले से ही पशु प्रेमी थे। वतन वापसी के बाद गाय और स्ट्रीट डॉग्स की हो रही बेकद्री ने इन्हें अंदर ही अंदर परेशान करके रख दिया। गांव में बड़ा घर बना रहे थे। घर में स्वीमिंग पुल भी बनाना चाहते थे, लेकिन बाद में स्वीमिंग पुल का इरादा त्याग कर वहां एक काउ शेड बना दिया। काउ शेड में वह सड़कों में खड़ी बीमार गायों और कुत्तों को ले आए। उनका इलाज किया। अब रोबिन घायल पशुओं का निशुल्क इलाज करते हैं। रोबिन ने घर में अब 12 लावारिस गायें और 8 स्ट्रीट डॉग्स हो गए हैं। रोबिन बताते हैं कि वह बीमार पशुओं को तब तक अपने शेड में रखते हैं। जब तक वह पूरी तरह से ठीक न हो जाए। ठीक होने के बाद उसे उसी जगह छोड़ देते हैं। जहां से उसे लेकर वह आए हैं।
घर का नाम रखा बदमाश पीपल फार्म
रोबिन ने बताया कि अमेरिका से लौटने के बाद वह एक अच्छा घर बनाना चाहते थे। ऐसा घर जिसमें स्वीमिंग पुल वगैरह हो। सड़कों के किनारे खडे़ बीमार पशुओं को देखा तो फिर स्वीमिंग पुल बनाने का इरादा त्याग दिया। स्वीमिंग पुल के जगह और बजट में एक काउ शेड बना दिया। वह कहते हैं कि अपने घर को बदमाश पीपल फार्म नाम दिया है लेकिन पूरे क्षेत्र में इसे पीपल फार्म के नाम से जाना जाता है। पीपल फार्म के गाय, बैल, कुत्ते, गधे और घोड़े जैसे जानवरों का एकदम फ्री इलाज किया जाता है।
घायल जानवरों को रेस्क्यू करने में पत्नी और वालंटियर करते हैं मदद
पशुओं को घर में पनाह देकर उनकी देखरेख करने वाले रोबिन के साथ उनकी पत्नी शिवानी भी है। उनके घर में यूएस का एक वालंटियर जो भी पशुओं की देखरेख कर रहे हैं। पीपल फार्म में अब लोग लावारिस औरन घायल पशुओं के बारे में फोन करके भी जानकारी दे रहे हैं। इसके अलावा कई लोग घायल पशुओं को उनके घर तक छोड़ जाते हैं। जहां पर रोबिन और उनके सहयोगी पशुओं को चिकित्सकीय सहायता देने के बाद रखते हैं और उनके ठीक होने के बाद वहीं छोड़ देते हैं। रोबिन ने बताया कि वे घायल जानवरों को साथ में लगते अस्पतालों में लेकर जाते हैं और साथ ही जरूरत पड़ने पर डॉक्टरों को अपने घर पर भी लेकर आते हैं।
गोबर के गमले भी बना रहा रहा है पीपल फार्म
जानवरों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए रेवन्यू जनरेट के लिए अब पीपल फार्म ने गोबर के गमले बनाने शुरू किए हैं। ये गोबर के गमले पर्यावरण के लिए बिल्कुल भी नुकसानदेह नहीं है। साथ ही इनमें पौधे रखने से पौधों की रूट खराब नहीं होती और पौधों को गमले सहित ही मिट्टी में लगाया जा सकता है। रोबिन ने इन गमलों को बेचने के लिए नर्सरियों और संस्थाओं के साथ संपर्क किए हैं और साथ ही गांव वालों को 15 रुपए में गमले बेच रहे हैं। गमले बनाने के लिए एक मशीन तैयार की गई है जिसमें 2 मिनट में गमला तैयार किया जाता है।