महिलाओं व लड़कियों की सुरक्षा समाज में बहुत जरूरी है और यह एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है जिस पर सरकार के साथ-साथ सभी को गौर करना चाहिए। दिल्ली की निर्भया या हिमाचल की गुड़िया जैसी दुःखद घटना फिर न हो इसके लिए केंद्र सरकार गंभीर है और राज्य सरकारों को केंद्र ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुख्ता कदम उठाने के निर्देश दिए हैं ।
अंतराष्ट्ररीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ कमल सोई ने शुक्रवार को शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा है कि वाहनों में महिलाओं की सुरक्षा के ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने हिमाचल सरकार को कमांड और कंट्रोल सेंटर बनाने के लिए 9.36 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। निर्भया फंड के तहत यह रकम हिमाचल को मिली है लेकिन हिमाचल सरकार इस सेंटर को बनाने में ढिलाई कर रही है।
उन्होने कहा कि हिमाचल सरकार ने कमांड और कंट्रोल सेंटर प्राइवेट हाथों में दे दिया है तथा 4-5 निजी कंपनियों को यह जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने सरकार को इस सेंटर के बनाने में निजी कंपनियों को तवज़्ज़ो न देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यह नारी की सुरक्षा से जुड़ा मसला है और ऐसे में सरकार व परिवहन विभाग को कमांड और कंट्रोल सेंटर का काम निजी हाथों में नहीं देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कंट्रोल रूम को बनाने का काम सरकारी कंपनियों बीएसएनएल या एनआईसी को मिलना चाहिए था लेकिन सरकार ने यह काम पांच निजी कंपनियों को दे दिया। उनका कहना है कि कई प्रदेशों में कंट्रौल रूम स्थापित किए जा चुके हैं तथा सरकारी उपक्रमों की ओर से यह काम किया गया है, जबकि हिमाचल प्रदेश में कंट्रोल रूम को प्राइवेट कंपनियों को देने के पीछे सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि कंटोल रूम को प्राइवेट कंपनियों के हवाले करने से महिलाओं से जुड़ा डाटा लीक होने का अंदेशा है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में लगभग 3-4 लाख के करीब पब्लिक वाहनों में जीपीएस व व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगना है। इनमें से 30 हजार के आसपास वाहनों में जीपीएस व व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जा चुका है।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए यह जरूरी व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम सरकारी या पुलिस विभाग के हाथों दिया जाए ताकि किसी अप्रिय घटना को घटने से पहले रोका जा सके। उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनकी बात पर गौर नहीं करती है तो वह न्यायलय का दरवाजा खटखटाने पर विवश होंगे।