सोलन। भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा अयोजित “अभिव्यक्ति” द्वारा बाल नाट्य” जंगल जातकम्” का रौडी गांव, धर्मपुर में मंचन हुआ जो कि काशीनाथ सिंह की कहानी पर आधारित है। कहानी का रूपांतर अच्छर सिंह परमार ने किया है। जिसका निर्देशन राजिंद्र शर्मा (हैप्पी) द्वारा किया गया । नाटक का संगीत सुनील सिन्हा ने किया है। नाटक एक “स” जंगल की कहानी है जो की हमारे आसपास का जंगल है,लेखक ने उसको बहुत ही सुंदर रुप से लिखा है।मनुष्य के इच्छा उसका लालच जो उसी का विध्वंश कर रहा है। उसको लेकर कटाक्ष है। जंगल आज भी मनुष्य का पालन पोषण करता है। जहां जंगल की अपनी दुनिया है अपना परिवार है वो मनुष्य को आज भी अपना मित्र ही समझता है। लेकीन मनुष्य ने ऐसा विकराल रूप ले लिया है कि उसका पूरा शरीर “घमोच” होगया है जिसके आगे वो बोना होगया है । विकृत घमोच जो कि मनुष्य की क्षुद्रता और दुर्बलता का प्रतीक है, वो उसका गुलाम बन कर खींच रहा है। ये बहुत दुखद है। बच्चों ने शक्तिशाली ढंग से आवाज़ एवं शरीर का प्रयोग करके जंगल के नाना प्रकार के कार्य कलापों को वहां घटित होने वाली घटनाओं का मंचन किया। जहां जंगल खुश था आनंद में था लेकिन मुनिष्य की ना ख़त्म होने वाली प्रगति ने उसको बहुत दम्भी बना दिया है। अपना अंत करने का सारा सामान जुटा लिया है। उस दर्द को बच्चों ने अपने भावों और अभिनय से प्रभाशाली ढंग से प्रस्तुत किया और ये आह्वान किया कि आज अगर हम सजग नहीं होंगे तो हमारा अंत निश्चित है।
मुख्य अथिति डॉ. राकेश कँवर, सचिव भाषा एवं संस्कृति विभाग और कृषि विभाग, हि. प्र., किन्ही अपरिहार्य कारणों कि वजह से नहीं आ पाए लेकिन उन्होंने गाँव के बच्चों और हमारे प्रोत्साहन हेतु एक विडिओ सन्देश भेजा जिसमें उन्होंने कहा, “ आपने मंचन के लिये काशीनाथ सिंह जी की कहानी का चयन किया, यह प्रसन्नता की बात है क्योंकि इस कहानी से इस पृथ्वी को बचाने के बारे में सोच कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प ले सकते हैं….” । उन्होंने ये भी कहा कि इस नाटक के प्रदर्शन अन्य जगहों पैर भी होने चाहिए और जब भी इसका शो शिमला के गैएटी थिएटर में होगा तो वह इसे अवश्य देखेंगे.
दर्शक के रुप में गांव वालों के साथ साथ सोलन और कसौली के रंगकर्मियों पर इस प्रस्तुति का अनूठा प्रभाव पड़ा और सबने बच्चों को भरपूर सराहा और आगे बढ़ने के लिये प्रोत्सहित किया। “अभिव्यक्ति” संस्था की सचिव अमला राय गत एक वर्ष से गांव के बच्चों के साथ निरंतर सांस्कृतिक तथा रंगमंचीय गतिविधियां करने में तल्लीन हैं।