शिमला। सरकार सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करे। सेब के दाम न मिलने से किसान व बागवान खासे मायूस हैं।जिला परिषद सदस्य व चेयरमेन बाग़वानी व उद्योग कमेटी शिमला कौशल मुँगटा ने सेब के गिरते दामों को लेकर चिंता जतायी है उन्होंने कहा कि बेमौसमी बर्फ़बारी में हुए नुक़सान पर आँख मुँदने वाली भाजपा व मुआवज़ा कमेटी बनाकर जनता को गुमराह करने वाली भाजपा अब गिरते दामों पर भी मौन है वहीं अड़ानी की मनमानी के आगे भी भाजपा मौन है जहाँ सेब के दामों में 30 %से 40% की गिरावट आयी है वहीं सेब ख़रीद करने आयी अड़ानी एग्रो फ़्रेश कम्पनी ने भी पिछली बात के मुक़ाबले इस बार 16 से 20 रुपय दाम घटाए हैं। मुंगटा का कहना है की जहाँ सेब तैयार करने की लागत बड़ी है वहीं महंगाई ने भी बागवानों की कमर तोड़ी है फिर चाहे बात महँगे कार्टन की हो या महँगी खाद और फफूँदनाशक की या फिर मालभाड़ा आदि की बढ़ोतरी की,बगीचों में काम आने वाले मशीनरी में सबसे अधिक पावरसप्रे व खोदने व घास साफ़ करने वाली मशीनें इस्तेमाल की जाती है जिसको की पेट्रोल और डीज़ल के दाम बढ़ने के बाद इस्तेमाल करना मुश्किल हो गया है।मुंगटा का कहना है की जबसे भाजपा सरकार बनी है तबसे उन्होंने कोई काम बागवानों के हितों में नहीं किए है सबसे पहले भाजपा ने सता में आते ही कीटनाशक व फफूँदंनाशक पर सब्सिडी ख़त्म की उसके बाद DAP खादों के दाम 100% फ़ीसदी बढ़ाने का काम किया तत्पश्चात् काटन के दाम इतिहास में पहली बार एक ही साल में 20 से 25 रुपये बढ़ाने का काम किया बची हुई कसर गिरते हुए सेब के दामो ने पूरी कर दी है।मुंगटा का कहना है की कृषि क़ानून जो भाजपा लेकर आई है वो कितने ख़तरनाक है उसका उदाहरण हमें हिमाचल में देखने मिल रहा है जब व्यापारी अपने मर्ज़ी से सेब के दाम गिरा बड़ा रहे है।मुँगटा का कहना है कि कश्मीर की तर्ज पर हिमाचल में भी A B व C ग्रेड के सेब के दामों को तय किया जाना चाहिये तथा सरकार के तंत्र जैसे ए पी एम सी HPMC हिमफ़ेड आदि के माध्यम से बागवानो को निश्चित MSP तय कर उचित दाम देने का काम करे।भाजपा अपने लगभग 4 साल के कार्यकाल में कोई एक काम गिनाए जो उन्होंने बागवानो के हित में उन्होंने किया हो।