
हिन्दी रंगमंच को प्रदेश में सरकारी सहयोग मिलता रहेगा तो निश्चित तौर पर प्रदेश के कलाकारों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे और स्थानीय प्रतिभाओं का विकास होगा जो आत्म निर्भर बनने में सक्षम होंगे। इस उद्देश्य से प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में मल्टी पर्पज थियेटर की स्थापना की जाएगी। यह जानकारी हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी द्वारा आयोजित साहित्य कला संवाद के 152वें संवाद कार्यक्रम में सचिव भाषा कला संस्कृति अकादमी डाॅ.कर्म सिंह ने दी। उन्होंने कहा कि भाषा कला एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से भविष्य में विभिन्न कलाओं के संवर्धन के लिए विभिन्न क्षेत्रों में मल्टी पर्पज थियेटर की स्थापना की जाएगी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय व विभिन्न प्रदेशों की संस्थानों के साथ मिलकर इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कार्यशालाओं के आयोजन तथा अन्य कार्यक्रमों का आयोजन भव्य रूप में कोरोना संकटकाल के उपरांत किया जाएगा। उन्होंने रोहिताश्व गौड़ व अन्य प्रतिष्ठित लोगों से इस संबंध में मार्गदर्शन की अपेक्षा की। इस दौरान संवाद में जुड़े भारतीय रंगमंच फिल्म एवं टीवी कलाकार रोहिताश्व गौड़ के साथ संवाद कायम किया गया।
रोहिताश्व गौड़ ने कहा कि शौकिया रंगमंच और व्यवसायिक रंगमंच में बहुत अंतर है और इस अंतर को जानने की जरूरत है। उन्होंने अभिनय और रंगमंच की बारीकियों को जानने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता को बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक तौर पर रंगकर्मी का रंगमंच के लिए समर्पण बाद में फिल्मों की ओर उसका पलायन उसकी आर्थिक मजबूरी होती है। उन्होंने बताया कि बहुत से कलाकारों ने फिल्मों में काम करने के बाद भी रंगमंच को आत्मसात कर कार्य करने की निरंतरता जारी रखी है।
रोहिताश्व गौड़ ने संवाद के दौरान बताया कि उन्होंने अपने अभिनय जीवन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि उनके अभिनय जीवन की शुरुआत राजधानी शिमला से हुई है। उन्होंने बताया कि उनके पिता द्वारा 50 के दशक में देश को शौकिया रंगमंच के उत्थान एवं शौकिया रंग मंडलियों को मंच प्रदान करने के लिए शिमला में आल इंडिया आर्टिस्ट एसोसिएशन का गठन कर देश में असंख्य कलाकारों को नाट्य एवं नृत्य कला के प्रदर्शन के लिए समर्पण भाव से कार्य किया गया।
रोहिताश्व गौड़ ने संवाद कार्यक्रम में शिमला व शिमला के अन्य क्षेत्रों में किए गए नाटकों को स्मरण करते हुए आगरा बाजार, एक था गधा उर्फ अला दाद खां, अंडर सैकेरेटरी, दौड़, बड़े भाई साहब आदि नाटकों को स्मरण करते हुए अपने तत्कालीन सह रंगकर्मी सविता सूद, आरती सूद, भारती सूद तथा अन्य कलाकारों को भी याद किया।संवाद के दौरान उनकी फिल्मों जिनमें वीर सावर कर, धूप, मातृ भूमि, मुन्ना भाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्ना भाई, अ वेडनसडे, हासिल, थ्री इडियट्स तथा विभिन्न राष्ट्रीय चैनल पर टीवी धारावाहिकों जैसे वेद व्यास के पौते-डीडीवन, फिरदोस-1998, अग्नि चक्र-सहारा टीवी, हकीकत-सहारा टीवी, लापता गंज-सब टीवी, भाभी जी घर पर है-एंड टीवी, जय हनुमान-डीडीवन, महा भारत-जीटीवी, कागज की कश्ती-सहारा, मौहल्ला मोहब्बत वाला-सबटीवी, श्री सिफारशी लाल-सबटीवी, चाबी है पड़ोस में-स्टार प्लस, हमारी खुशियों की गुलक आशी-सोनी पल, हम आपके है इन-लाॅज -सबटीवी, ये प्यार न होगा कम-कलरस टीवी, डेडी और नाॅडो-हंगामा टीवी, छात्रपति शिवाजी-डीडीवन, जसुबेन जयंतीलाल जोशी की ज्वाॅइंट फैमिली-एनडीटीवी इमेजिन, मुझे चांद चाहिए-1997, बुलबुल बाग में, खेल, राजपत, सेना मेडल-(स्टार बेस्ट सेलर बाए राज कुमार हिरानी) में किए गए पात्रों के संबंध में चर्चा की गई। भाभी जी घर पर है में उनके द्वारा अभिनित मनमोहन तिवारी तथा लापता गंज में अभिनित मुकंदी लाल के पात्र को लेेकर भी चर्चा की गई।