देश सहित पूरे प्रदेश में अनलॉक 2 की प्रक्रिया जारी है। अनलॉक-2 में प्रदेश में सरकार ने पर्यटकों के लिए प्रदेश की सीमाएं खोल दी हैं। पर्यटक आईसीएमआर की अधिकृत लैब से अपना कोरोना टेस्ट करवा कर और होटल को कम से कम 5 दिन के लिए बुकिंग की शर्त पर हिमाचल प्रदेश के अंदर आ सकते हैं। जब से सरकार ने यह फैसला लिया है तब से लगातार सरकार के इस फैसले का विरोध किया जा रहा है। इससे पहले शिमला के व्यापार मंडल ने प्रदेश सरकार को इसके विरोध में संपूर्ण बाजार को बंद करने की चेतावनी भी दी थी वहीं राजनैतिक गलियारों में भी इस फैसले के खिलाफ जोरों शोरों से रोष व्यक्त किया जा रहा है। इसके अलावा जनता भी कहीं न कहीं इस फैसले से खुश नजर नहीं आ रही।
अब आज शिमला के उपायुक्त कार्यालय के बाहर सामाजिक कार्यकर्ता रवि कुमार, करमचंद भाटिया, हिमांशु कुमरा और सुदेश कुमार धरने पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि हिमाचल प्रदेश सरकार का यह फैसला सरासर गलत है और हिमाचल प्रदेश के लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ है। प्रदेश सरकार को जल्द से जल्द इस फैसले को वापस लेना चाहिए। हालांकि सरकार ने इस मुद्दे पर पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर दिया था कि केंद्र द्वारा जारी अनलॉक 2 की गाइडलाइंस में प्रदेश सरकार राज्य सरकारों को यह शक्ति नहीं दी गई है कि वह अपनी सीमाओं को बंद रख सके। ऐसे में हिमाचल प्रदेश की सीमाओं को खोलना अनिवार्य था। बता दें कि प्रदेश सरकार ने फिलहाल ई-पास के बिना प्रवेश खोल दिया है लेकिन बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी पर्यटक और हिमाचल प्रदेश का निवासी प्रदेश की सीमा के भीतर प्रवेश नहीं कर सकता है। बहरहाल, सरकार अपने फैसले पर खड़ी है और लोग इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।