कोरोना से निपटने के लिए लचर रवैया छोड़ युद्धस्तर पर कार्य करे सरकार.. संजय चौहान

दी चेतावनी..अपनी लचर कार्यशैली में सुधार नहीं किया तो पार्टी जनता को लामबंद कर आंदोलन करने के लिए होगी मजबूर

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कम्युनिस्ट पार्टी के नेता संजय चौहान ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा की राज्य कमेटी पिछले कुछ दिनों से राज्य में कोविड-19 संक्रमित मरीजों की संख्या व इससे हो रही मौतों की संख्या में तेज़ी से हो रही वृद्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है। उन्होंने प्रदेश सरकार से कोरोना से निपटने के लिए युद्धस्तर की रणनीति बनाकर कार्य करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रदेश में सुचारू व सुदृढ़ करने के लिए कुशल नेतृत्व में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों जिनमें मुख्यतः चिकित्सा, वायरोलॉजी, प्रबंधन व इससे संबंधित लोगों की एक टास्क फोर्स का गठन किए जाने की मांग की। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए प्रदेश के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में आवश्यकतानुसार डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, लैब टेक्नीशियन,फार्मासिस्ट व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ की तुरंत भर्ती व बुनियादी सुविधाओं और ढांचे का निर्माण किया जाए। सरकार निजी अस्पतालों व लैब को भी कोविड-19 के निशुल्क इलाज व टेस्ट के लिए तुरंत आदेश जारी करे। सरकार इसके लिए पर्याप्त संसाधनों का प्रावधान कर इसको रोकने के लिए संजीदगी से प्रयास करे अन्यथा अगर इसको रोकने के लिए सरकार ठोस कदम नहीं उठाती तो वो दिन दूर नहीं जब प्रदेश में भी स्थिति भयावह हो जाएगी।

प्रदेश में कोविड-19 से संक्रमित मरीजों की संख्या 27500 तक पहुंच गई है और इससे आजतक 400 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी हैं। जिस तेजी से कोविड-19 का संक्रमण प्रदेश में फैल रहा है उससे प्रतीत होता है कि अब प्रदेश के कुछ जिलों में संक्रमण सामुदायिक फैलाव हो गया है। पिछले 6 दिनों से प्रदेश में 600 से अधिक संक्रमित मरीज़ प्रति दिन आ रहे हैं और इससे होने वाली मृत्यु की संख्या में भी वृद्धि हुई है।शिमला, मंडी में तो इन दिनों 100 से अधिक संक्रमित मरीज़ प्रति दिन आ रहें हैं जो कि अत्यंत चिंता का विषय है। जैसे-जैसे प्रदेश में कोविड-19 का संक्रमण तेजी से फैल रहा है और संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है तो इससे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं भी चरमराने लग गई है। उन्होंने कहा कि संक्रमित मामलों के बढ़ने से प्रदेश के सभी अस्पतालों की स्थिति चिंतनीय हो चुकी है। आज प्रदेश की राजधानी शिमला में डेडिकेटेड कोविड अस्पताल दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 के मरीजों के लिए बनाए गए सभी बिस्तर मरीजों से भर गए है और अब अतिरिक्त मरीजों को दाखिल करने के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। शिमला आईजीएमसी व हमीरपुर मेडिकल कॉलेज के लैब में स्टाफ संक्रमित होने के कारण इनको बंद कर दिया गया है और अब यहाँ टेस्ट कराने में लोगों को बहुत परेशानी हो गई है और रिपोर्ट भी समय पर नहीं मिल रही है। कमला नेहरू महिला अस्पताल में भी डॉक्टर व स्टाफ संक्रमित होने व ऑपरेशन थिएटर बंद होने के कारण आज मरीजों को परेशानी हो गई है। राज्य अस्पताल आईजीएमसी में भी डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ के रिक्त पदों के चलते ओपीडी भी सही रूप से कार्य नहीं कर पा रही है जिससे अन्य बीमारियों के मरीजों का इलाज़ भी नहीं हो रहा है और उन्हें पीड़ा का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। आज प्रदेश भर में सरकार की भर्ती पर रोक की नीति के कारण डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ के हजारों पद खाली पड़े हैं। प्रदेश में केवल लैब टेक्नीशियन के लगभग 1000 पदों में से 700 से अधिक पड़ रिक्त पड़े हैं। जिसके कारण अब अस्पतालों व अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में जो भी सीमित स्टाफ है बेहद दबाव में कार्य करने के लिए मज़बूर है।

मार्च,2020 में लॉक डाउन व कर्फ्यू लगाने के बाद सरकार को आठ माह में सरकार को प्रदेश में कोविड-19 से निपटने के लिए जिस प्रकार की तैयारी करनी चाहिए थी वह उस प्रकार की तैयारी करने में पूर्णतः विफल रही है। इस दौरान स्वास्थ्य व अन्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए जो तैयारी सरकार को करनी चाहिए थी वह बिल्कुल नहीं की गई। सरकार ने उस समय कोविड-19 को हल्के में लिया व इसकी गंभीरता को नजरअंदाज कर ताली, थाली व हवन यज्ञ जैसे अवैज्ञानिक व दकियानूसी तरीकों से इसका मुकाबला करने के लिए जनता को गुमराह किया गया यदि उस समय सरकार इससे निपटने के लिए वैज्ञानिक व प्रगतिशील दृष्टिकोण से उचित क़दम उठाकर स्वास्थ्य व अन्य सेवाओं को सुचारू व सुदृढ़ करने के लिए ठोस कदम उठाती तो आज प्रदेश की जनता को इस प्रकार के संकट का सामना न करना पड़ता और कोविड-19 के संक्रमण के फैलाव पर नियंत्रण किया जा सकता।

21मार्च, 2020 को मुख्यमंत्री द्वारा कोविड19 के बारे मे आयोजित की गई सर्वदलीय बैठक में सीपीएम ने सरकार को स्पष्ट रूप से आगाह किया था कि कोविड-19 महामारी एक भयावह स्थिति पैदा कर सकती है इसलिए सरकार को युद्धस्तर की रणनीति बनाकर कार्य करने की आवश्यकता है और इसमें 12 सुझाव पार्टी ने सरकार के समक्ष कोविड-19 से निपटने के लिए रखें थे। जिसमें मुख्यतः डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्टों व पैरा मेडिकल स्टाफ की भर्ती आवश्यकतानुसार तुरन्त की जाए। प्रदेशभर में सरकार के जितने भी नवनिर्माण में भवन बनकर तैयार हैं उनमें उचित सुविधाओं से लैस कोविड सेंटर तैयार किये जाए । शिमला में इंडस अस्पताल को सभी आवश्यक सुविधाओं से लैस डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाया जाए तथा आईजीएमसी के निर्माणाधीन ब्लॉक के कम से कम चार मंजिल में कोविड-19 के मरीजों को रखने के लिए बिस्तरों व वेंटिलेटर का उचित प्रबंध किए जाए। इसके अतिरिक्त 7500 रुपये प्रति माह लोगों के खाते में डालने, मनरेगा को गांव में मजबूती से लागू करने व शहरी क्षेत्रों में भी इसको आरंभ करना आदि सुझाव दिए गए थे लेकिन सरकार ने इसको बिल्कुल भी संजीदगी से नहीं लिया और नजरअंदाज किया। जनता द्वारा पर्याप्त संसाधन सरकार को द्वारा योगदान देने के बावजूद भी सरकार इन संसाधनों का उचित प्रयोग नहीं कर पाई। सरकार द्वारा कोविड-19 के नाम पर 84 करोड़ रुपये से अधिक जनता से एकत्र किया और इसमें से केवल 25 करोड़ रुपए के करीब ही ख़र्च कर पाई है। इससे सरकार की कोविड-19 से निपटने की तैयारियों की पोल स्पष्ट रूप से खुल गई है।
सीपीएम पुनः सरकार से मांग करती है कि अभी भी सरकार अपनी लचर कार्यप्रणाली में सुधार कर कोविड-19 से निपटने के लिए संजीदगी से कार्य कर इसको रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। पार्टी द्वारा दिए गए सुझावों पर गौर कर प्रदेशस्तर पर स्वास्थ्य व अन्य सेवाओं को आवश्यकतानुसार इसके लिए संसाधनो का प्रावधान कर इनको तुरंत मजबूत करें। सरकार तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी के सहयोग से प्रदेश में कोविड-19 के कारण पैदा हो रही भयावह स्थिति से निपटने के लिए कार्य करें। पार्टी सरकार की इस प्रकार के किसी भी सकारात्मक पहल में सहयोग करेगी। यदि सरकार अभी भी अपनी लचर कार्यशैली में सुधार नहीं करती तो पार्टी जनता को लामबंद कर आंदोलन करने के लिए मजबूर होगी।

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