ट्रैक्टर की रिपेयर के स्पेयर पाटर्स न मिलने से पूरा इलाका परेशान था। जब भी स्पेयर पाटर्स के लिए बाजार जाते, यह नहीं मिलते। ऐसे में आटोमोबाइल की पढ़ाई करने वाले तीन दोस्तों ने योजना बनाई, मात्र डेढ़ माह की मेहनत में सफल हो गए। अब स्कूटर के इंजन से हैंड ट्रैक्टर चलता है। ऐसा ट्रैक्टर जिसमें एक लीटर तेल में एक बीघा की जोताई हो जाती है। इन छात्रों के इस अविष्कार को देखते हुए, अब खेतीबाड़ी से जुड़े लोगों ने इस तरह के हेंड ट्रैक्टर को बनाने की डिमांड आने लगी है। इंजीनियर जनक भारद्वाज, विनीत ठाकुर और राकेश शर्मा आटोमोबाइल की डिग्री बाहरा यूनिवर्सिटी से कर रहे हैं। पिछले काफी समय से तीनों के दिमाग में बात चल रही थी कि, कोई ऐसी टेक्नोलॉजी इजाद करनी है, जिससे लोगों को कम लागत में अधिक कमाई हो। हिमाचल जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में इस तरह के अविष्कार को चमत्कार से जोड़ा जा रहा है। क्योंकि ट्रैक्टर की खरीद में लगभग 60 हजार से 1 लाख के बीच खर्च करना पड़ता है, जबकि इन तीनों इंजीनियर के अविष्कार से बनाए गए हैंड ट्रैक्टर का खर्च मात्र 20 से 25 हजार रुपए है।
ऐसे आया आइडिया, हुए सफल
तीनों छात्र कहते हैं, हमने पढ़ाई के साथ साथ एक छोटी सी रिपेयर वर्कशाप खोली हुई है। हम हर रोज नए नए प्रयोग करते रहते हैं। खेती के लिए प्रयोग किए जाने वाले अधिकतर ट्रैक्टर उनके पास रिपेयर के लिए आते थे। लोग कहते थे, एक बार रिपेयर करने के बाद भी यह ठीक नहीं होते हैं, साथ ही रिपेयर पाटर्स नहीं मिलते थे। हमने सोचा क्यों न ऐसा ट्रैक्टर तैयार किया जाए, जिसकी रिपेयर कम हो और स्पेयर पाटर्स आसानी से मिल जाए। बस, फिर तीनों दोस्तों ने एक पुराने स्कूटर का इंजन लिया और डेढ़ माह की कड़ी मेहनत के बाद यह सफलता पूर्वक हैंड ट्रैक्टर तैयार हो गया।
जिसे कबाड़ में फैंक दिया था, उसका किया प्रयोग
स्टूडेंट जनक भारद्वाज ने इस हेंड ट्रैक्टर को बनाने के लिए ऐसे स्कूटर के इंजन का प्रयोग किया है, जिसे कबाड़ में फैंक दिया गया था। उन्होंने काफी पुराने इंजन को फिर से नया रूप देकर इसका प्रयोग ट्रैक्टर को चलाने के लिए किया हैं। उनका कहना है कि वह इस तरह के आइडिया लेने के लिए काफी मेहनत करते हैं। यदि कोई कंपनी उनसे इस तरह के प्रयोगों के साथ जुड़ना चाहती है, तो वह इसके लिए तैयार हैं। इनके अविष्कार की खास बात यह है कि वह कम से कम लागत में इसे पूरा करते हैं। गौर रहे कि सरकार के अविष्कार से इस हैंड ट्रैक्टर के 60 फीसदी सब्सिडी दी जाती है। जबकि इसको लेने के बाद यह कितना कामयाब होगा, इसकी गारंटी नहीं रहती है।
ऐसे काम करता है हैंड ट्रैक्टर
खेतों में अधिकतर हैंड ट्रैक्टर का प्रयोग किया जा रहा है। हैंड ट्रैक्टर में चार ब्लेड लगी होती है। यह इंजन के साथ जोड़ा होता है, जिसे स्टार्ट करने के बाद यह जोताई का काम करता है। इसे हाथ से पकड़कर प्रयोग में लाया जाता है। इसका बजट काफी कम है, अकेला व्यक्ति दो हिस्सों में करके इसे खेत तक पहुंचा सकता है