
शिमला: मां-बाप बनने की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट कोरोना महामारी में अब बाधा नहीं है। जरा सी सावधानियां अपना कर निसंतान दंपति संतान सुख हासिल कर सकते हैं।डॉ.पूजा मेहता, सीनियर कंसल्टेंट, गाइनोकॉलोजिस्ट और आईवीएफ विशेषज्ञ, फोर्टिस हॉस्पिटल, आईवीएफ सेंटर, मोहाली ने आज वर्चुअली वार्ता के माध्यम से आईवीएफ ट्रीटमेंट की जानकारी दी।
कोविड-19 का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ने के नहीं सबूत :
उन्होंने कहा कि अब दंपत्तियो को कोरोना के डर से अपनी खुशी को अपने से दूर करने की आवश्यकता नहीं है।उन्होंने आईवीएफ ट्रीटमेंट में देरी को गैर-जरूरी करार देते हुए इस इलाज के इच्छुक लोगों को न टालने की सलाह दी। प्रजनन क्षमता पर कोरोना के प्रभाव के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में, प्रजनन क्षमता और कोरोनावायरस के बीच संबंध के बारे में सीमित सबूत थे। उन्होंने कहा कि हालांकि संक्रमण के कारण तेज बुखार हो सकता है, जो प्रजनन उपचार को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि अध्ययन के अनुसार आईवीएफ साइक्लि या एग फ्रीजिंग के कारण दौरान तेज बुखार, दवाओं की अधिक आवश्यकता, प्राप्त किए गए एग की कम संख्या और लंबे समय तक साइक्लि की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कोविड-19 बुखार का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है।
कोविड गर्भावस्था में नहीं बाधा:
उन्होंने दंपतियों की कोविड की गर्भावस्था में बाधा डाल सकने की संभावनाओं को दरकिनार करते हुए कहा कि हैं कि कोविड -19के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए आईवीएफ से गर्भधारण संभव है। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिला में कोविड संक्रमण का जोखिम एक गैर-गर्भवती महिला की तुलना में समान ही है। साथ ही उन्होंने कहा कि अभी कोई पर्याप्त सबूत नहीं है जो यह साबित करता है कि गर्भवती महिला अपने बच्चों को कोविड संक्रमण पारित कर सकती है। इसके अलावा, कोरोनोवायरस स्तन के दूध या एमनियोटिक तरल में मौजूद नहीं है।
दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है:
डॉ. पूजा ने बताया कि फोर्टिस आईवीएफ ब्लूम सेंटर में वायरस के प्रसार को कम करने के लिए अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले रोगियों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। व्यक्तिगत तौर पर आने-जाने की संख्या को कम करने के लिए पूरा ध्यान रखा जा रहा है। इलाज शुरू करने के पहले अस्पताल प्रारंभिक या फॉलोअप कंसल्टेशन के लिए टेलीमेडिसिन अप्वाइंटमेंट्स प्रदान करता है। इसके अलावा, ट्रांसमिशन जोखिम से बचने के लिए स्वास्थ्य एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सुझाए गए सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है।
फोर्टिस आईवीएफ सेंटर्स में मरीजों को दी जा रही डिजिटल कंसल्टेशन:
डॉ.पूजा ने बताया कि सेंट्रल लैबोरेट्री में हेपा फिल्ट्रेशन सिस्टम द्वारा भ्रूण ,अंडों या शुक्राणु में कोविड संक्रमण के प्रसार के जोखिम को न्यूनतम कर दिया जाता है। मरीज की सुरक्षा के लिए मुंबई, नवी मुंबई, दक्षिणी दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद और मोहाली में फोर्टिस आईवीएफ सेंटर्स में मरीजों को डिजिटल कंसल्टेशन दी जा रही है। इसके अलावा घर से रक्त एकत्रीकरण, संदिग्ध वीर्य समस्याओं वाले पुरुषों में, वीर्य कलेक्शन की सुविधा घर पर दी जा रही है। इसके साथ मरीजों को आईवीएफ क्लिनिक में बुलाने के बजाय उनके नजदीकी अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट के पास जाने की सुविधा दी गई है। वहीं प्रिसक्रिप्शन स्लिप के साथ दवाओं के होम डिलीवरी के विकल्प भी उपलब्ध हैं।
कोविड ग्रसित पाए जाने पर इलाज के चरण किए जाते हैं कैंसिल, अगले चरण में दी जाती है वित्तिय छूट:
डॉ. पूजा ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी दंपतियों की कोविड सक्रीनिंग उपचार शुरू करने से पहले पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) का उपयोग करके की जाती है और सभी उपचार चरणों से पहले उन्हें दोहराते हैं, जैसे कि भ्रूण ट्रांसफर या ओवम पिकअप आदि। अगर, पति या पत्नी में से किसी को कोविड पॉजिटिव पाया जाता है तो जारी साईकल को कैंसिल कर दिया जाता है और अगले आईवीएफ प्रयास में छूट दी जाती है, ताकि साईकल कैंसिल होने के वित्तीय नुकसान की भरपाई की जा सके।
कोरोनोवायरस से मुक्त रहने के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान मरीज बरते ये सावधानियां:
1.सार्वजनिक तौर पर कहीं भी आते जाते हुए हर समय मास्क पहनें।
2.कम से कम 20/30 सेकंड के लिए अपने हाथों को पानी और साबुन से धोएं। यदि साबुन उपलब्ध नहीं है, तो कम से कम 70 प्रतिशत अल्कोहल के साथ अल्कोहल आधारित।
3.सैनिटाइजर का उपयोग करें।
4 छुई गई सतहों को साफ करें।
5.अपनी नाक और हाथों को अपने हाथों से ढकने की जगह कोहनी या टिश्यूज से ढकें।