दर्द में क्यों जिए, जब ज्वांइट रिप्लेसमेंट हुआ आसान:डॉ. प्रदीप अग्रवाल

रिप्लेसमेंट के तीन या चार दिन के बाद चलने -फिरने में मरीज हो जाते हैं समर्थ

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आज हर दूसरा व्यक्ति हड्डियों और जोड़ों की समस्याओं से पीड़ित है। बढ़ती उम्र ,सड़क दुर्घटना या फिर अन्य कारणों के कारण लोग हड्डियों और जोड़ों की दर्द से परेशान हैं। हर दिन ऑर्थो की परेशानी से जूझ रहे हजारों की तादाद में मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं। ऑर्थो डिपार्टमेंट में मरीजों की भारी संख्या रहती है। ऐसे में मरीजों को कई बार इलाज़ के लिए लंबी लाइन में घंटों खड़े रहना पड़ता है और कई बार बेहतर सुविधा न मिल पाने के कारण भी मरीजों को अपनी बीमारी का इलाज नहीं मिल पाता है। वहीं जोड़ो की समस्याओं से पीड़ित लोगों की संख्या भी बहुत अधिक है। बढ़ती उम्र के लोगों में यह जोड़ो का रोग आम है। इस रोग के इलाज की प्रक्रिया कुछ समय पहले बहुत मुश्किल थी लेकिन अब जोड़ों का रिप्लेसमेंट बहुत सरल हो गया है और मरीज तीन या चार दिन में चलना शुरू कर देता है। यह बात आज आर्थोपैडिक और ज्वाइंट रिप्लेसमैंट सर्जरी विभाग पारस अस्पताल के चेयरमैन डॉ .प्रदीप अग्रवाल ने आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि लोगों में जोड़ों के रिप्लेसमेंट को लेकर शंकाएं है और साथ ही इस बात का डर है कि जोड़ों के बदलने के बाद उन्हें चलने में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसी शंका और डर के कारण मरीज अक्सर दर्द को सहन करते हुए जीवन जीने में मजबूर हो जाते हैं। डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि उनके पारस अस्पताल में जोड़ों और हड्डियों के इलाज का पूरा इलाज है और जिसमें वह 99. 9% सफल हुए हैं उनके द्वारा ठीक हुए मरीज आज पूरी तरह से चलने फिरने में समर्थ है और सामान्य रूप से अपना जीवन जी रहे हैं। डॉ.अग्रवाल ने बताया कि आगामी 10 वर्षों में भारत जोड़ बदलने की सर्जरी के केसों में विश्व में पहले स्थान पर होगा। डॉ.अग्रवाल अपने 32 वर्षों में 40,000 सफल ऑपरेशन कर चुके हैं।

डॉ. प्रदीप ने कहा कि ज्वाइंट सर्जरी के संबंध में जागरूकता की आवश्यकता है। हमारे देश में अधिक आयु में दूसरी बड़ी समस्या आस्टीयोथराईटिस (हड्डियां भुरना) की है, जो हड्डियों के रोगों की एक गंभीर समस्या है। यह बीमारी अपंगता का बड़ा कारण बनती जा रही है और प्रत्येक वर्ष 18 मिलियन (एक करोड़ 80 लाख) लोग इसका शिकार हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारे देश में प्रतिवर्ष 10 लाख लोगों को जोड़ बदलवाने की आवश्यकता होती है, परंतु 30,000 से 40,000 तक ही ज्वाइंट रिप्लेसमैंट सर्जरी होती हैं।

इस मौके पर उपस्थित शिमला के राजेश भारू ने पत्रकारों के साथ अपने अनुभव सांझा किए जिनका 21 मई 2019 को हिप रिप्लेसमेंट का सफल ऑपरेशन किया गया था। वहीं डॉ.आनंद जिंदल ने कहा कि पारस अस्पताल पंचकूला में मरीजों को तुरंत उपचार दिया जाता है और इलाज में जरूरी सभी सुविधाओं को मुहैया करवाया जाता है। उन्होंने कहा कि किसी भी हादसे का शिकार हुए मरीज के लिए शुरुआत के 60 मिनट बहुत कीमती होते हैं और ऐसे में मरीज को अगर तुरंत चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि पोली ट्रॉमा केसों के उपचार के लिए डाक्टरों की टीम हर समय उपस्थित होती है।

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