जाति, धर्म व क्षेत्र के आधार पर भेदभाव की भावना संकीर्ण मानसिकता को दर्शाती है, जिससे समाज का विकास अवरूद्ध हो जाता है। यह बात आज अतिरिक्त उपायुक्त शिमला डी के रतन ने जिला स्तरीय सतर्कता एवं प्रबोधन समिति की बैठक को संबोधित करते हुए कही। डी के रतन ने कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अंतर्गत छुआछूत जैसी सामाजिक बुराई को फैलाने वालों के विरूद्ध दंड का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के अंतर्गत ग्रामीण स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए प्रचार सामग्री आम लोगों में वितरित करवाई जा रही है, ताकि अधिक से अधिक लोग इस अधिनियम के प्रावधानों की जानकारी प्राप्त कर छूआछूत जैसी सामाजिक बुराई से बच सकें।
अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि अधिनियम के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए अब तक जिला के ठियोग, सुन्नी, रामपुर, धगोली, थाना, सारीबासा में जागरूकता शिविर आयोजित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अधिनियम के तहत पंजीकृत विभिन्न मामलों में पीडि़तों को नियम के अनुसार राहत राशि समयबद्ध प्रदान की जा रही है। उन्होंने अधिनियम के तहत अधिकारियों को और अधिक जागरूक करने के लिए कार्यशाला आयोजित करने के निर्देश भी दिए।
जिला कल्याण अधिकारी, ओंकार चन्द्र ने बैठक में विभिन्न मुद्दों को चर्चा के लिए प्रस्तुत किया। बैठक में पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष प्रहलाद कश्यप, गैर सरकारी सदस्य उत्तम सिंह कश्यप, नागरू राम, उप पुलिस अधीक्षक राजेंद्र शर्मा, परियोजना निदेशक डीडब्ल्यूडीए राजेश धीमान, डीए आरएस परमार, तहसील कल्याण अधिकारी केशु राम, एआरओ कर्मचंद हरनोट उपस्थित थे।