प्रदेश सरकार द्वारा फैक्टरी एक्ट,कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट,इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट में बदलाव करने व 8 घण्टे की डयूटी को 12 घण्टे करने के खिलाफ सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने आज सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। इन देशव्यापी प्रदर्शनों के तहत स्वास्थ्य,आशा ,आंगनबाड़ी,सफाई कर्मी,सुरक्षा कर्मियों,वार्ड अटेंडेंट,एसटीपी पंचायत,नगरनिकाय,बैंक,बीमा,टेलीफोन,डाक,पुलिस,मीडिया व अन्य सरकारी व गैर सरकारी फ्रंटलाइन कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की भी मांग की गई।
सीटू ने सरकार द्वारा फैक्टरी एक्ट,कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट में बदलाव करने व 8 घंटे की डयूटी को 12 घण्टे करने के निर्णय की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे मजदूरों के अधिकारों पर कठोर प्रहार करने वाला कदम बताया है। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया है कि वह पूंजीपतियों व उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए मजदूर विरोधी नीतियां बनाना बन्द करे।
विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि मजदूर कोरोना महामारी व लॉक डाउन के दौर में मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित व पीड़ित हैं और ऐसे समय में प्रदेश की भाजपा सरकार जख्मों पर मरहम लगाने के बजाए श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन करके उनके ज़ख्मों पर नमक छिड़क रही है। उन्होंने सरकार पर पूंजीपतियों की सरकार होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार पूरी तरह से मजदूरों के खिलाफ कार्य कर रही है। प्रदेश सरकार ने फैक्ट्रीज एक्ट 1948 की धारा 51,धारा 54,धारा 55 व धारा 56 में बदलाव करके साप्ताहिक व दैनिक काम के घण्टों,विश्राम की अवधि व स्प्रैड हॉर्स में बदलाव कर दिया है। काम के घण्टों को आठ से बढ़ाकर बारह घण्टे करने के मजदूर विरोधी कदम ने इस सरकार की पोल खोल कर रख दी है।सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट की धारा 1,फैक्ट्री एक्ट की धारा 2(म),65(3)व 85(1) में मजदूर विरोधी परिवर्तन कर दिए हैं व धारा 106(ब) जोड़ कर उद्योगपतियों को लूट की खुली छूट दे दी है। प्रदेश सरकार ने इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट की धारा 22(1),25(फ) व 25(क) में बदलाव की सिफारिश करके मजदूरों के अधिकारों को खत्म करने की साज़िश रची है जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। सरकार के इन कदमों ने मजदूरों के अधिकारों के हनन के रास्ते खोल दिए हैं।
वहीं प्रेम गौतम ने कहा है कि एक तिहाई मजदूरों की छंटनी होना तय है। अभी आठ घण्टे की डयूटी के कारण फैक्ट्रियों में तीन शिफ्ट का कार्य होता है। बारह घण्टे की डयूटी से कार्य करने की शिफ्टों की संख्या तीन से घटकर दो रह जाएगी जिसके चलते तीसरी शिफ्ट में कार्य करने वाले एक-तिहाई मजदूरों की छंटनी हो जाएगी। इस निर्णय ने प्रदेश में हज़ारों मजदूरों की छंटनी के दरवाजे खोल दिए हैं। इसी तरह कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट में श्रम क़ानूनों को लागू करने के लिए किसी भी संस्थान में बीस ठेका मजदूरों की शर्त को बढ़ाकर ठेका कर्मियों की भारी संख्या को श्रम कानून के दायरे से बाहर कर दिया है। इसी तरह फेक्ट्री एक्ट के संशोधन से ऊर्जा संचालित कारखानों में श्रम कानूनों को लागू करने की दस मजदूरों की संख्या को बढ़ाकर बीस करने व बगैर ऊर्जा संचालित कारखानों में मजदूरों की संख्या को बीस से बढ़ाकर चालीस करने से मजदूरों की संख्या का एक बड़ा हिस्सा कारखाना अधिनियम के दायरे से बाहर हो जाएगा। इसी प्रकार इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट में छंटनी,ले ऑफ व तालाबंदी के विशेष प्रावधानों के लिए मजदूरों की संख्या को एक सौ से बढ़ाकर तीन सौ करने से प्रदेश के दो-तिहाई उद्योगों के हज़ारों कर्मचारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा