
स्पेन के बार्सिलोना से वैमानिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर अपने घर राजगढ़ लौटे अंशुक अत्री ने सिरमौर जिले को बेसहारा पशु मुक्त जिला बनाने की ठानी है। उन्होंने अपने पिता राजेंद्र अत्री के अरणायक गौसदन को हाई टेक कर राजगढ़ जिले को बेसहारा पशु मुक्त क्षेत्र बना दिया है और अब उनका लक्ष्य पूरे सिरमौर जिले के बेसहारा पशुओं को आश्रय देना है।
अंशुक अत्रि ने अपने पिता की 250 बीघा और अन्य 1000 बीघा जमीन पर पशुओं के लिए अरण्य बनाया है जहां पशु दिन भर खुले में स्वतंत्र विचरण कर सकते हैं। उनके गौसदन में 260 पशु हैं जिनमें से कुछ दुधारू पशु भी हैं। उनके बनाए अरण्य में यह पशु सारा दिन चर शाम को बनाए गए गौसदन में लौट आते हैं।’ गौ संरक्षण’ अभियान के तहत वह लोगों द्वारा छोड़े गए पशुओं को सहारा दे रहे हैं।

गौसदन की बनाई वेबसाइट:
अंशुक अत्रि ने अपने पिता के छोटे से गौसदन को वेबसाइट https://gausanrakshan.com/ के माध्यम से पूरे हिमाचल में स्थापित गौसदनों से जोड़ा है ताकि लोग बेसहारा पशु से संबंधित सूचना दे सकें साथ ही किसी भी व्यक्ति को अगर सहायतार्थ कुछ करना हो तो वह इस वेबसाइट के माध्यम से संपर्क कर सकता है। अंशुक द्वारा मौजूदा गौशालाओं की मदद करने का यह पहला डिजिटल कदम है। गौसेवा के लिए दिए जाने वाले धन और अन्य सेवाओं की प्रक्रिया को उन्होंने डिजिटल रूप देकर सरल बनाया है। अंशुक अत्रि ने कहा कि डिजिटल प्रक्रिया से आर्थिक रूप से आवारा पशुओं की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी। भारत में ऑनलाइन भुगतान विधियों का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है अंशुक ने उनके लिए डिजिटल सुरक्षित दान मंच बनाया है।
जैविक खाद का भी किया जा रहा उत्पादन:
गौसदन में जैविक और प्राकृतिक रूप से खाद तैयार की जा रही है। गौ खाद, जैव-उर्वरक जैसे वर्मीकम्पोस्ट और गौ-मूत्र उत्पादों को तैयार कर वेबसाइट के जरिए आम लोगों को उपलब्ध करवाई जा रही है। अंशुक ने बताया कि इससे सभी गौशालाओं को अपने उत्पाद बेचने के लिए एक केंद्रीकृत ऑनलाइन बाजार मिल सकेगा जो उनके लिए उपयोगी होगा, साथ ही साथ ग्राहकों को आसानी से उच्च गुणवत्ता वाले जैविक उत्पाद एक ही जगह मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि सभी गौशाला मालिकों और सामान्य ग्राहकों को इन उत्पादों के उपयोग और उनके लाभों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।

स्थानीय लोगों को दिया रोजगार:
अरणायक गौसदन में राजगढ़ के स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिला है। लगभग 20 व्यक्ति आज गौसदन में काम कर रहे हैं। पशुओं को चारा डालना ,पीने का पानी देना, साफ-सफाई से लेकर उनके स्वास्थ्य की देखभाल करने का कार्य कर्मचारी करते हैं।

युवाओं के लिए प्रेरणा अंशुक:
अंशुक पेशे से इंजीनियर हैं। उन्होंने स्पेन के बार्सिलोना से एरोनॉटिकल (वैमानिक ) इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उन्होंने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बी.ई पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ से की। उसके बाद उन्होंने अपनी मास्टर्स बार्सिलोना से पूरी की। 30 वर्षीय अंशुक नौकरी करने की जगह अपने पिता के साथ गौसदन के काम में हाथ बंटा रहे हैं। कोरोना काल में जब लोग अपने घरों में बंद थे उस समय भी अंशुक अत्री ‘गौ संरक्षण’ अभियान के तहत बेसहारा पशुओं को आश्रय देने का काम कर रहे थे। इसके अलावा अंशु अत्री को लिखने का भी शौक है उन्होंने अपने छात्र जीवन में ‘क्वार्टर लाइफ क्राइसिस’ नाम का नोबेल लिखा है साथ ही वह ‘सरला पब्लिकेशंस’ भी चला रहे हैं।