अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा उपायुक्त कार्यालय शिमला के बाहर अर्णब गोस्वामी की गिरप्तारी के विरोध में महाराष्ट्र सरकार के विरुद्ध धरना प्रदर्शन किया गया। पिछले कल मंगलवार सुबह 6 बजे महाराष्ट्र पुलिस के द्वारा अर्णब गोस्वामी को 2 साल पहले बन्द पड़े मुकदमे को पुनः खोलकर गिरफ्तार किया गया है ।
प्रांत मंत्री राहुल राणा ने जानकारी देते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार जिस तरह से प्रतिशोध की राजनीति कर रही है वह लोकतांत्रिक मूल्यों के बिल्कुल विरुद्ध है , जहाँ मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है वहीं इस तरह से प्रतिशोध की भावना से अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की आजादी पर गहरी चोट है। उन्होंने कहा कि पहले तो बिना अदालत की इजाजत के बिना मुकद्दमा पुनः जांच के लिए खोला गया और फिर जिस तरह से मारपीट और घसीटकर अर्णब गोस्वामी को जेल ले जाया गया यह महाराष्ट्र सरकार की मंशा के ऊपर सवाल खड़े करता है। राहुल राणा ने आरोप लगाते हुए कहा कि उद्धव सरकार के द्वारा सत्तारूढ़ होने का दुरुपयोग किया जा रहा है।
राहुल राणा ने कहा यह पहला मामला नहीं है जब महाराष्ट्र सरकार इस तरह से तानाशाही पर उतरी है इससे पूर्व हिमाचल की बेटी और मशहूर अभिनेत्री कंगना राणौत के दफ्तर को भी जेसीबी से गिर दिया गया था और उस समय भी अदालत ने महाराष्ट्र पुलिस को लताड़ा था। अर्णब गोस्वामी लगातार सामाजिक हित से जुड़े मुद्दों को उठाते रहे हैं चाहे वो पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या हो या सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामला , लेकिन जहां महाराष्ट्र सरकार को इन मामलों में निष्पक्ष जांच करते हुए आरोपियों को पकड़ना चाहिए था लेकिन इन मुद्दों को उठाने वाले लोगों पर कार्यवाही करना अन्याय है औऱ अलोकतांत्रिक है। अभाविप ने उद्धव सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा की महाराष्ट्र सरकार अपनी प्रतिशोध की राजनीति से बाज आए और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करें ।