शिक्षक दिवस पर 16 शिक्षकों को राज्य पुरस्कार प्रदान

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राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज राजभवन में राज्य स्तरीय शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह की उपस्थिति में 16 शिक्षकों को राज्य पुरस्कार प्रदान किए तथा राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त चार शिक्षकों को भी सम्मानित किया। राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि एक अच्छा इंसान बनने के लिए शिक्षा मुख्य आधार है। उन्होंने कहा कि बच्चों के सर्वा्रगीण विकास का उद्देश्य एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण करना ह,ै इसलिए शिक्षकों पर छात्रों में नैतिक मूल्यों का संचार करने की बड़ी जिम्मेवारी है। उन्होंने कहा कि जीवन में दोहरे चरित्र के साथ नहीं जीना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अध्यापन एक पुनीत व्यावसाय है तथा इसमें शिक्षकों को बेहद जिम्मेदारी के साथ अपने आचरण, चरित्र तथा विचारों से छात्रों को प्रभावित कर उन्हें ईमानदारी से कर्तव्यों को पालन करना सिखाना चाहिए।

पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए राज्यपाल ने शिक्षक समुदाय से और अधिक वचनबद्धता व समर्पण के साथ कार्य करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षक सक्षम हो तो वह छात्रों में अच्छे संस्कार संचारित कर सकता है। उन्होंने कहा कि बच्चे मासूम और अबोध होते हैं तथा जो भी गुण उनमें संचारित किए जाते हैं वे जीवन भर उनका अनुसरण करते हैं। शिक्षकों को विद्यार्थियों के लिए ज्ञान व अध्ययन के उच्च उदाहरण स्थपित करने, अच्छे व्यवहार का चलन तथा आचरण में परिपूर्णता का आदर्श बनना चाहिए। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि विद्यार्थियों में देश-भक्ति तथा देश के प्रति गर्व की भावना को संचारित करने के लिए उन्हें अपनी संस्कृति एवं गरिमापूर्ण इतिहास से अवगत करवाना चाहिए।

राज्यपाल ने हिमाचल प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक विकसित तथा समृद्ध राज्य के रूप में उभरने पर हर्ष जताते हुए कहा कि इसका श्रेय शिक्षक समुदाय को भी दिया जाना चाहिए। राज्यपाल ने पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डा. एस. राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनके जन्म दिवस के अवसर पर देश भर में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने इस अवसर पर एक स्मारिका का विमोचन भी किया। राज्यपाल ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला उदयपुर के सुरेश कुमार विद्यार्थी, रा.व.मा.पा. राजुपरा की अदिति कंसल, रा.व.मा.पा. कियोलीधार के धर्मपाल, रा.व.मा.पा. रिकांगपिओ के राकेश कुमार, रा.व.मा.पा. थुरल के विजय भारत दीक्षित, रा.व.मा.पा. कांगड़ के जोगिन्द्रपाल, रा.व.मा.पा. पालमपुर की मनीषा कुमारी, रा.व.मा.पा. लक्क्ड़ बाजार के प्रेम राज शर्मा, रा.व.मा.पा. हलां के जगत राम शर्मा, रा.व.मा.पा. ज्यूरी के हरिदास चौहान, केन्द्रीय प्राथमिक पाठशाला सिचलिंग के छेरिंग गटुक, रा.प्रा. पा. धनगोटा के चौकस राम, रा.प्रा.पा. चिलेज के हरि चंद, केन्द्रीय प्राथमिक पाठशाला बड़योगी के दलीप सिंह चौहान, केन्द्रीय प्राथमिक पाठशाला मट्टाहणी के जोगिन्द्र सिंह तथा रा.प्रा. पा. शरण कांडल के जय प्रकाश श्याम को राज्य पुरस्कारों से सम्मानित किया।

राज्यपाल ने चार राष्ट्रीय पुरस्कृत शिक्षकों को भी सम्मानित किया जिनमें रा.व.मा.पा. भूमति के प्रधानाचार्य भूपेन्द्र गुप्ता, रा.व.मा.पा. पौड़ाकोठी के प्रधानाचार्य कृष्ण चंद, रा.व.मा.पा. शोरशण के नरेश कुमार शास्त्री, केन्द्र प्राथमिक पाठशाला सगिरठी के सीएचटी श्याम लाल शामिल हैं। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि प्रदेश सरकार ने शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की है। आज हिमाचल प्रदेश बच्चों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने में अग्रणी प्रदेश की भूमिका निभा रहा है तथा एक सर्वेक्षण में हिमाचल प्रदेश को देश में युवाओं को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए बड़े राज्यों में सर्वश्रेष्ठ आंका गया है। उन्होंने कहा कि साक्षरता दर, जो वर्ष 1951 में 7.98 प्रतिशत थी, आज बढ़कर 88 प्रतिशत हो गई है।
उन्होंने कहा कि पूर्व में बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता था। लेकिन आज, विद्यार्थियों को उनके घरद्वार के समीप बुनियादी एवं उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रदेश में 15636 स्कूल तथा 129 कॉलेज कार्यरत हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान दूरदराज के क्षेत्रांं में 50 नये कॉलेज खोले गए हैं और आज लड़कियां उच्च शिक्षा के मामले में अधिकांश संस्थानों में लड़कों को पीछे छोड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने छात्रों के कौशल उन्नयन के उददेश्य से प्रदेश के 967 स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा आरम्भ की है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पुरस्कृत शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि इस उत्कृष्ट व्यावसाय में अपने जीवनकाल में पुरस्कार प्राप्त करना गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि शिक्षक सभ्य समाज की रीढ़ हैं तथा उन्हें विद्यार्थियों को न केवल ज्ञानवर्धक शिक्षा प्रदान करनी चाहिए, बल्कि छात्रों में आरम्भ से ही अनुशासन, नैतिक मूल्य, आदर्श व सैद्धांतिक ज्ञान का संचार करना चाहिए।

प्रधान सचिव शिक्षा संजय गुप्ता ने इस अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया तथा शिक्षा विभाग की विभिन्न गतिविधियां एवं उपलब्धियों का ब्योरा दिया। निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा मनमोहन शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। लेडी गवर्नर दर्शना देवी, वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी, मुख्य सचिव वी.सी. फारका, निदेशक उच्च शिक्षा बी.एल. बिंटा, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न स्कूलों के अध्यापक एवं विद्यार्थी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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