आज हि0प्र0 108 व 102 काॅन्ट्रेक्टर वर्कर्ज यूनियन के अध्यक्ष पूर्ण चन्द ने अपने पद से त्याग पत्र देते हुए कहा कि गरीबों की लडाई लडनें में हार गया मुझे नही पता क्या बात परन्तु में 108 व 102 के कर्मचारियों की आवाज बनकर सामने आया सरकार के सामने इन सभी कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय के विरोध में आवाज कम्पनी व सरकार के सामने उठाई गई जिससे माननीय मुख्यमंत्री के आदेशानुसार सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचीव महोदय ने लिखित समझोता यूनियन के साथ किया कि एक मास के अन्दर आपकी सारी मागें पुरी की जाएगी और अगर मागें पुरी नहीे होती हैं तो मैं भी अपके साथ सचिवालय के बाहर धरना दुंगा परन्तु आज मुझे दुख हुआ है कि हमारी मागें सरकार ने पुरी तो नहीें की उल्टा हमारे 30 लोगों को निकाल दिया गया हमारे कर्मचारी साथियों की निम्नलिखित मागें थी जो सरकार व कम्पनी के सामने बार-बार उठाई गई।
पूर्ण चन्द ने कहा कि हि0प्र0 108 और 102 कर्मचारियों से 12 घंटे से ज्यादा ड्यूटी ली जाती है जो कि बहुत ज्यादा है। कई बार 24 घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है। कंपनी के नियमों के अनुसार 4 दिन के बाद एक आॅफ होता है, लेकिन ऐसा नहीं होता है। कई बार 15 से 20 दिन तक ड्यूटी करने के बाद भी आॅफ नहीं मिलता। क्योंकि कंपनी के पास कर्मचारी पूरे नहीं है। 102 में भी लगातार ड्यूटी करवाई जाती है। हमें आॅफ भी नहीं दिया जाता। 102 में कोई भी रिलिवर नहीं है, जबकि सरकार को रिलिवर कंपनी ने दर्शाए हैं और उनका पैसा भी ळटज्ञ सरकार से हड़प कर रही है। 108 व 102 के कर्मचारियों को कंपनी का तानाशाही रवैया सहन करना पड़ रहा है, क्योंकि यदि कर्मचारी कंपनी के खिलाफ आवाज उठाता है तो कंपनी उसे निकाल देती है या उसका तबादला दूर-दराज के क्षेत्रों में कर देती है।
कंपनी ने 108 के 150 और 102 के कई कर्मचारियों को बिना किसी कारण के निकाल दिया। उनका दोष केवल इतना था कि उन्होंने ळटज्ञ म्डत्प् 108 व 102 से हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठाई। 102 में भी डीजल की माइलेज़ 13 से 16 किलोमीटर मांगते हैं, नहीं तो फोन बिल व डीजल का पैसा वेतन से काटते हैं। स्टाफ पूरा न होने के बावजूद भी अगर किसी लोकेशन में केस कम हो तो एक शिफ्ट में कंपनी गाड़ी को आॅफ रोड़ करवा देती है, जिसका खामियाजा कर्मचारियों को अपना वेतन कटवाकर भुगतान करना पड़ता है। 108 के हरेक लोकेशन पर 3 म्डज् व 3 च्पसवज सरकार को दर्शाए गए हैं, जबकि काम एक म्डज् व 1 च्पसवज से लिया जाता है और 2 म्डज् व 2 च्पसवज का पैसा ळटज्ञ खुद हड़प कर रही है। इसलिए हमारा माननीय मुख्यमंत्री जी से आग्रह है कि वे स्वयं हमारी मांगों पर विचार करें और कंपनी द्वारा 108 व 102 कर्मचारियों पर हो रहे शोषण का रोका जाए व स्थाई नीति का निर्माण किया जाए।
हिमाचल प्रदेश में रात को 15 गाड़ियां आॅफ रोड हो रही है, जिसका सीधा असर कर्मचारियों को अपना वेतन गवाकर भुगतान करना पड़ रहा है, जिसकी जानकारी सरकार को नहीं है। कंपनी से कारण पूछने पर बताया जा रहा है कि केस कम होने की वजह से गाड़ियां आॅफ रोड है। 2010 को कंपनी कर्मचारियों को डीए का भुगतान 50 रुपये करती थी और आज भी 2016 में कंपनी कर्मचारियों को डीए 50 रुपये भुगतान कर रही है। जब गाडियां सरकार की हैं और कर्मचारियों को सरकार ने अपने खर्चें से प्रशिक्षण दिया हैं तो सरकार इन लोगों को अपने अधिन लेकर इनसे कार्य ले या इनके लिए म्डज् और च्पसवजद्ध स्थाई नीति बनाई जाए। आजसे इस यूनियन के प्रभार से मुक्त होगया हुं।
पूर्ण चन्द