फूड बैंक से 1 हजार लोगों को मिला खाना

यूथ कांग्रेस द्वारा 21 मई से चलाया जा रहा है फूड बैंक

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युवा कांग्रेस द्वारा राजधानी शिमला में प्रवासी मजदूरों को हर रोज खाना बांटा जा रहा है। शुक्रवार को भी युवा कांग्रेस ने अपने फूड बैंक से लगभग 1 हजार लोगों को खाना दिया।  पार्टी मुख्यालय के अलावा आज शिमला शहर के चार वार्डों में खाने की व्यवस्था की गई। 

34 वार्डों में चलाया जा रहा फूड बैंक:

युवा कांग्रेस के सदस्य पिछले 17 दिनों से लगातार पार्टी मुख्यालय राजीव भवन में प्रवासियों की थाली में खाना परोस रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के अवसर पर फूड बैंक मुहिम शुरू की गई तो जो बदस्तूर जारी है। युवा कांग्रेस द्वारा शिमला शहर के 34 वार्डों में खाना वितरित किया जा रहा है। इस मुहिम के अंतर्गत युवा कांग्रेस के सदस्य कोविड -19 की स्वच्छता और सोशल डिस्टेंसिंग की सभी गाइडलाइंस का ध्यान रखते हुए खाना दे रहे हैं। इसके अलावा शहर के विभिन्न वार्डों में रह रहे प्रवासी मजदूरों और लॉक डाउन के चलते प्रभावित हुए गरीब परिवार के लोगों को भी खाना दिया जा रहा है।

अभी भी बहुत से ऐसे लोग जो कमा-खा नहीं पा रहे:

इस मौके पर आज शुक्रवार को कांग्रेस विधायक कसुम्पटी राणा अनिरुद्ध सिंह व कांग्रेस लीडर हरीश जनारथा मौजूद रहे और लोगों को खाना बांटा। इस मौके पर विधायक राणा अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि  21 मई से यूथ कांग्रेस हिमाचल प्रदेश प्रवासी मजदूरों को पैक्ड फूड दे रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को काम मिल गया है लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो कमा-खा नहीं पा रहे और ऐसे में कांग्रेस के युवाओं ने उन्हें खाना देने की जिम्मेदारी उठाई है। उन्होंने कहा कि आज लगभग 1हजार पैकेट बनाए गए हैं और इन्हें  मुख्यालय के अलावा चार वार्डों संजौली, समरहिल, कैथू और कसुम्पटी में डिस्ट्रीब्यूट किया जाएगा।
वहीं कांग्रेस नेता हरीश जनारथा ने यूथ कांग्रेस की फूड बैंक मुहिम की सराहना करते हुए कहा कि जब तक कोविड -19 कि समस्या से बिगड़े हालात सामान्य नहीं हो जाते तब तक फूड बैंक जारी रहेगा। 

जिंदगी की गाड़ी पटरी पर लौटने की उम्मीद:

कोविड-19 के चलते लगाए गए कर्फ़्यू के कारण दिहाड़ीदार प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। काम न होने से उनकी दैनिक आय पर बहुत बुरा असर पड़ा है जिस कारण वह दो वक्त के खाने का इंतजाम करने का संघर्ष कर रहे हैं। लॉक डाउन अनलॉक -1 में इन प्रवासी मजदूरों को काम खुलने की उम्मीद बंधी है लेकिन फिर भी जिंदगी की  गाड़ी पटरी में आते-आते वक्त लगेगा। अपने और अपने परिवार के लोगों का पेट भरने की चिंता तो फिर भी बनी ही हुई है। ऐसे में शहर में जगह-जगह रह रहे रोटी के जरूरतमंदों के लिए सरकार, संस्थाएं और स्थानीय निवासी खाना बांट रहे हैं।

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