वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि हिमाचल में भाजपा के पास कई वरिष्ठ नेता हैं। इन्हीं में से अनुभवी नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, यह पार्टी ने चुनावी रणनीति के तहत घोषित नहीं किया है। शिमला में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम के जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता से जुड़े बयान का माकूल जवाब दिया। कांग्रेस से पूछा कि इस वक्त क्या यह मुद्दा उठाना सही है, जब सरकार कश्मीर में शांति बहाली के लिए कई कदम उठा रही है। इससे पता चलता है कि कांग्रेस की कश्मीर समझ कितनी कम है। कांग्रेस 2017 में समझी कि कश्मीर में विधानसभा को अधिक अधिकार दिए जाने चाहिए, जबकि वहां की विधानसभा के पास पहले ही ज्यादा अधिकार हैं।
केंद्रीय सूची में चुनिंदा विषय ही हैं। क्या कांग्रेस राज्य में 1953 से पहले की स्थिति चाहती है? उस हालात में न तो चुनाव आयोग होगा और न ही सुप्रीमकोर्ट का कोई क्षेत्राधिकार। उन्होंने कांग्रेस के पांच साल के कार्यकाल को व्यर्थ करार दिया। आरोप लगाया किकेसों में भी स्कैंडल हुए। राज्य सरकार की एक ही गतिविधि रही, नेतृत्व को बचाना। सरकार के नेतृत्व में ही असुरक्षा की भावना रही।
पार्टी का केंद्र कमजोर रहा। फिर भी केंद्र को ब्लैकमेल करने की क्षमता दिखी। कानून और व्यवस्था से जुड़े मामलों में समझ न आने वाले स्कैंडल हुए। केंद्र ने विकास में हिमाचल के साथ कोई भेदभाव नहीं किया। हिमाचल को दूसरे राज्यों की तुलना में ज्यादा मदद की गई। केंद्रीय संस्थानों की भरमार आई, एनएच मार्गों की बाढ़ सी आई। भाजपा की सरकार बनने पर उसके सामने सरकार की खोई हुई साख फिर से पाना बड़ी चुनौती होगी।