
राजभवन में सात दिवसीय श्री रामचरित चिंतन सत्र का शुभारम्भ
राज्यपाल आचार्य देवव्रत की पहल पर राजभवन शिमला में महऋषि वाल्मीकि रामायण पर आधारित सात दिवसीय संगीतमय श्री राम चरित चिन्तन सत्र का आयोजन किया जा रहा है। राज्यपाल ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी तथा गुरुकुल झज्जर के संचालक एवं आर्य प्रतिनिधि सभा के पूर्व प्रधान विजय पाल आर्य उपस्थित थे। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि हम श्री राम की शिक्षाओं का अनुसरण कर खुशहाल व सफल जीवन जी सकते हैं। श्री राम का चिंतन हमें पितृ भक्ति, भ्रातृप्रेम, आज्ञापालन, प्रतिज्ञापूर्ति तथा सत्यपरायणता की शिक्षा देता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में श्री राम की शिक्षाएं अधिक प्रासंगिक है और भावी पीढ़ी को संस्कार व नैतिकता की शिक्षा के लिए श्री राम के चरित्र को पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह श्री राम चरित चिंतन शिविर 16 जून तक आयोजित किया जाएगा।
इस अवसर पर वैदिक विद्वान विजय पाल ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की शिक्षाएं हमें आत्मिक बल ही नहीं बल्कि जीवन जीने की राह भी दिखाती हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह का कार्यक्रम जो श्री राम के जीवन दर्शन पर आयोजित किया जा रहा है, इस के लिए राज्यपाल बधाई के पात्र हैं, जो हमारी संस्कृति और परम्पराओं के संरक्षण के लिये प्रयासरत हैं। प्रख्यात मनीषी एवं प्रखर वक्ता कुलदीप जी आर्य ने रामायण चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा कि मन की चंचलता व भटकाव को केवल ईश्वर भक्ति से ही नियंन्त्रित किया जा सकता है। श्री राम तथा श्री कृष्ण जैसे महापुरुषों के कारण ही भारतवर्ष महान कहलाया। सद विचार जीवन में आते रहेंगे और अच्छी संगति में रहेंगे तो सुन्दर कार्यों की ओर जीवन चलेगा। जीवन में जब भी कोई चुनौती आती है और व्यक्ति मुश्किल में होता है, तो महापुरुषों की गाथाएँ ही सन्मार्ग सुझाती हैं। इसलिये महापुरुषों की जीवनगाथा को पढ़ना या अनुश्रवण करना चाहिये। लेडी गवर्नर दर्शना देवी, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धर्म चंद चौधरी, न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति चंद्र भूषण बरोवालिया, न्यायमूर्ति अनूप चितकारा, राज्यपाल के सलाहकार डॉ. शशिकांत शर्मा तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।