शिमला की सबसे कमाऊ बिल्डिंग बनी वाइस रीगल लॉज

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Indian Institute of Advance Studies
देश की सात सबसे खूबसूरत इमारतों मे शुमार शिमला की वाइस रीगल लॉज यानि एडवांस स्टडि मे दर्शक अब और अधिक समय बिता सकेंगे , सैलानियों की लगातार बढ़ती संख्या और उससे होने वाली आय के मद्देनजर वाइस रीगल लॉज प्रशासन ने यहाँ के विजिटिंग समय मे दो घण्टे की बढ़ोतरी की है। अब सैलानी सुवह साढ़े नौ बजे से शाम साढ़े छह बजे तक इस भव्य इमारत और इसके परिसर मे घूम सकेंगे। पहले दस से पाँच बजे के भीतर ही पर्यटकों को यहाँ जाने की इजाजत थी। यही नहीं प्रशासन ने पर्यटकों के मार्गदर्शन मे तैनात गाइडो को संख्या भी दोगुना कर दी है। वाइस रीगल लॉज के सचिव सुनील वर्मा के अनुसार साल दर साल हमारे यहाँ घूमने आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुये ये फैसला लिया गया है। इस साल मार्च से जून माह के बीच वाइस रीगल लॉज देखने के लिए 62 हज़ार सैलानी पहुंचे जिनसे विजिटिंग शुल्क के रूप मे 22 लाख रुपये जमा हुये है जो अपने आप मे एक बड़ी बात है। पिछले साल अप्रैल 2014 से लेकर मार्च 2015 तक एक लाख सत्तर हज़ार सैलानी इस भवन को देखने पहुंचे थे जिनसे भी प्रशासन ने पचास लाख अर्जित किए थे। वाइस रीगल लॉज घूमने के लिए भारतीय सैलानियों से बीस और विदेशियों से पचास रुपये लिए जाते हैं।

इस लिहाज से ये शिमला की सबसे कमाऊ बिल्डिंग बनकर उभरी है। इस सबको देखते हुये अब वाइस रीगल लॉज प्रशासन ने भीतर घूमने जाने वाले समूह की सदस्य संख्या बीस से सीधे चालीस कर दी है और ये भी तय किया गया है की बीस मिनट के भीतर सारा भवन दिखा दिया जाए । इससे पर्यटकों की बढ़ती संख्या की संभालने मे सहायता मिलेगी।

उल्लेखनीय है की वाइस रीगल लॉज का निर्माण 1888 मे हुआ था और ये ब्रिटिश शासन काल मे वाइस रॉय के निवास के तौर पर इस्तेमाल होने के बाद राष्ट्रपति निवास के रूप मे प्रयुक्त हुयी जिसे बाद मे तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधा कृषणन ने उच्चतर अध्ययन के लिए दे दिया था। भवन रेनेंसा काल की जाइको बेथन स्थापत्य क्ला का नमूना है जिसे प्रसिद्ध अर्चिटेक्ट हेनरी इरविन ने बनाया है। 1991 मे इसे पहलीबार आम पर्यटकों के लिए खोला गया था जिसके बाद से यहाँ लगातार हर साल सैलानियों की आमद बढ़ती जा रही है।

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