छोटी काशी मंडी में रियासतकालीन राजदेवता माधोराय की अगुवाई में शाही अंदाज में निकली जलेब के साथ शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का शानदार आगाज हो गया। देव ध्वनि की गूंज से मंडी शहर भक्तिमय हो उठा। प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते हुए जलेब में माधोराय की पालकी के आगे-पीछे एक दर्जन से अधिक देवी-देवताओं के रथ चले। देवताओं के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर नाचते-गाते देवलुओं ने जलेब की शोभा बढ़ाई। 200 देवी-देवता उत्सव में भाग लेने पहुंचे हैं।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंडी के आराध्य देव बाबा भूतनाथ और राज देवता माधो राय की पूजा-अर्चना कर जलेब में भाग लिया। मंडी रियासत के समय से चली आ रही परंपरा के अनुसार राज देवता माधोराय के दरबार से दोपहर दो बजे जलेब शुरू हुई। इसके बाद पड्डल मैदान में ध्वजारोहण कर सात दिवसीय महोत्सव का मुख्यमंत्री ने विधिवत शुभारंभ किया।
मेला कमेटी की ओर से मुख्यमंत्री और अन्य अतिथियों को पगड़ी पहनाई गई। पुलिस के घुड़सवारों, होमगार्ड बैंड, महिला पुलिस और स्कूली बच्चों ने मार्च पास्ट करते हुए जलेब की शोभा बढ़ाई। यह महोत्सव छह दिन तक चलेगा।
महाशिवरात्रि महोत्सव में पहुंचे 200 देवी-देवता
अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव का हिस्सा बनने के लिए शुक्रवार देर शाम तक मंडी जिले से करीब 200 देवी-देवता छोटी काशी पहुंचे हैं। पंजीकृत देवी-देवताओं ने राजदेवता माधोराय मंदिर और राजदरबार में हाजिरी भरी। शिवरात्रि मेले के दौरान सभी देवी-देवता वल्लभ कॉलेज मैदान में बैठेंगे और दर्शनों के लिए उपलब्ध रहेंगे। देव पराशर ऋषि, देव बूढ़ा बिंगल और नरोल देवियां राजमहल के बेहड़े में और देव कमरुनाग टारना मंदिर में विराजमान हो गए हैं।
अंतिम दिन चौहट्टा की जातर के लिए सभी देवी-देवता आएंगे। उस दिन देव कमरुनाग भी सेरी बाजार में दर्शन के लिए विराजमान रहेंगे। पंजीकृत देवी-देवताओं के अलावा 50 से 60 और देवी-देवता महाशिवरात्रि महोत्सव में आए हैं। इनका प्रशासन के पास कोई रिकॉर्ड नहीं रहता है। गैर पंजीकृत देवी-देवता अपने खर्च पर महाशिवरात्रि महोत्सव में आते हैं।