वन मंत्रालय भारत सरकार के रुख से एशिया की सबसे लंबी रोहतांग टनल तैयार होने में देरी होती जा रही है। कुल्लू से लाहौल तक 8.9 किलोमीटर सफर के लिए निर्माणाधीन रोहतांग टनल का काम हालांकि पिछले पांच वर्षों से जोरों पर चल रहा है, लेकिन वन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एक पेंच फसाने से टनल तैयार होने में तय लक्ष्य के मुताबिक एक साल देरी हो सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक टनल निर्माण के दौरान इंस्टॉल क्वारी के लिए वन मंत्रालय भारत सरकार ने एनओसी नहीं दी। जिस कारण टनल के अंदर कंक्रीटिंग का काम नहीं हो रहा है। रेत, बजरी व अन्य सामग्री टनल से अंदर ही खुदाई के निर्माणाधीन कंपनी को वन मंत्रालय एनओसी नहीं दे रहा है। यहां तक कि लाहौल के स्थानीय विधायक ने भी कई बार वन मंत्रालय के आईएफएस अधिकारियों के समक्ष एनओसी जल्द देने बारे अपना पक्ष रखा, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया।
ऐसे में जब तक वन मंत्रालय से इंस्ट्रॉल क्वारी के लिए एनओसी नहीं मिलती तब तक टनल के अंदर कंक्रीटिंग कार्य में दिक्कतें आ सकती है। हालांकि रोहतांग टनल को 2019 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन वन मंत्रालय के ऐसे रुख से और देरी होगी। टनल निर्माण प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के अंतर्गत होने के कारण राज्य सरकार भी एनओसी जल्द लेने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। उल्लेखनीय है कि पूर्व यूपीए सरकार ने 2009-2010 में रोहतांग टनल निर्माण के लिए आधारशिला रखी और 2011 से काम शुरू हुआ। करीब 2200 करोड़ की लागत से यह सुरंग तैयार होनी है। जब इसकी आधारशिला रखी थी उस वक्त बजट 1355 करोड़ था जो बाद में बढ़ कर 2200 करोड़ हुआ। यहां एक मुख्य टनल व दो सर्विस टनल तैयार होनी है। जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के लिए यह एक ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसे हर कोई तैयार होने का इंतजार कर रहा है।
सुरंग की आधी से ज्यादा खुदाई पूरी
कुल्लू से लाहौल-स्पीति के लिए हर मौसम में सड़क संपर्कसे जोडऩे के लिए महत्वपूर्ण रोहतांग सुरंग का काम तेजी से चल रहा है। बताया गया कि सुरंग में आधी से ज्यादा खुदाई भी हो चुकी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सुरंग की खुदाई का 58 फीसदी काम पूरा हो गया है। टनल का काम नवंबर 2011 में शुरू हुआ था और इसे जनवरी 2019 में पूरा करने का लक्ष्य रखा हुआ है। लेकिन लगता नहीं है कि इस अवध्यि में ये काम पूरा हो पाएगा।
प्रदेश सरकार भी करे हस्तक्षेप
लाहौल-स्पीति के विधायक एवं राष्ट्रीय जनजातीय आयोग के उपाध्यक्ष रवि ठाकुर ने केंद्र सरकार की बेरुखी पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि वन मंत्रालय से एनओसी लेने के लिए उन्होंने कई बार केंद्र सरकार से बात की, लेकिन सही रवैया नहीं मिला। रवि ठाकुर ने कहा कि टनल निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए पलचांग और कोकसर पंचायत ने एनओसी दे दी है। न वन मंत्रालय और न ही राज्य के अफसर सहयोग कर रहे हैं। प्रदेश सरकार भी इस संदर्भ में कोई अंतरिम राहत दें या फिर वन मंत्रालय से बात करें।