लोकायुक्त: रूल एंड रेगुलेशन बनने में लगेंगे छह माह

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हिमाचल में सशक्त लोकायुक्त एक्ट लागू होने में अभी छह माह का समय लग सकते हैं। हालांकि देश के राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 30 जून को लोकायुक्त एक्ट-2014 लागू हुआ, लेकिन पूरी तरह से स्थापित करने के लिए अभी रूल्ज एंड रेगुलेशन तैयार करना होगा। इसके मद्देनजर रूल्ज एंड रेगुलेशन बनाने की कवायद भी शुरू हो गई है। वर्ष 1983 यानी करीब 32 साल बाद हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त के रूल्ज एंड रेगुलेशन में पूरी तरह से बदलाव होने जा रहा है। नया स्टाफ से लेकर सभी तीनों विंग को स्थापित करने के लिए अभी छह माह तक समय लग सकते हैं। हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त एक्ट-1983 में जांच व अभियोजन विंग नहीं थी। जिसे स्थापित करने के लिए पूरा स्टाफ भी चाहिए। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लोकायुक्त में निदेशक जांच तथा निदेशक अभियोजन की नियुक्ती होनी है। हालांकि यहां प्रशासनिक विंग पहले से ही हैं, लेकिन लोकायुक्त एक्ट-2014 लागू होने से स्टाफ में भी वृद्धि होगी।

लोकायुक्त एक्ट-2014 के तहत लोकायुक्त का अपना पुलिस थाना होगा। पहले चरण में शिमला, धर्मशाला व मंडी में लोकायुक्त पुलिस थाना खुलेंगे। जहां पर केस दर्ज किए जाएंगे। प्रोवेंशन ऑफ क्रप्शन एक्ट-1988(केंद्र) तथा 1983(राज्य) के तहत इन लोकायुक्त पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किए जाएंगे। साथ ही कोड ऑफ क्रिमीनल प्रोसिजर एक्ट-1973 के तहत पुलिस स्टेशनों की प्रक्रिया चलेगी। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त में तीन बार संशोधन के बाद लागू होने जा रहा है। पूर्व में लोकायुक्त के पास जांच एवं अभियोजन की शक्तियां नहीं होने से कई मामलों पर सुनवाई भी नहीं हो पाई। ऐसे में अब करीब 32 साल बाद लोकायुक्त एक्ट में संशोधन के साथ लोकायुक्त को कई शक्तियां मिलने से रूल्ज एंड रेगुलेशन भी नए सिरे से बनेंगे। लोकायुक्त जस्टिस एलएस पांटा का कार्यकाल फरवरी 2017 तक है। बताया गया कि प्रशासनिक विंग में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा, जबकि जांच एवं अभियोजन विंग में विधि विभाग के तहत ही नियुक्तियां होगी।

पिछले एक साल में 114 केस, 71 का निपटारा

हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त में पहली जनवरी से 31 दिसंबर 2014 तक 114 केस आए, जिसमें से 71 का निपटारा किया गया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक अभी तक 83 केस अभी लंबित हैं। लोकायुक्त से मिली जानकारी के मुताबिक इसकी विस्तृत रिपोर्ट विधानसभा मानसून सत्र में पेश की जाएगी। बताया गया कि केलेंडर ईयर की यह रिपोर्ट लोकायुक्त ने जनवरी माह में ही पूर्व राज्यपाल उर्मिला सिंह को सौंप दी गई थी। ऐसे में लोकायुक्त रिपोर्ट-2014 के लिए विधानसभा मानसून सत्र का इंजतार करना होगा।

लोकायुक्त एक्ट पर कब क्या हुआ

प्रदेश में लोकायुक्त एक्ट-1983 में संशोधन के साथ सशक्त बनाने के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार ने वर्ष 2011 में राष्ट्रपति को भेजा, लेकिन मंजूरी नहीं मिली। वर्ष 2012 में प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आई तो बजट सत्र 2013 में संशोधित बिल लाया, जिसे शीतकालीन सत्र धर्मशाला में वापस लिया। उसके बाद 2015 यानी इस बार के बजट सत्र में संशोधन के साथ विधानसभा में पास किया, जिस पर 30 जून को प्रदेश के राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी। वर्ष 2013 के बजट सत्र में सरकार ने लोकायुक्त बिल सदन में लाया, जिसे विपक्ष ने विरोध किया। इसे देखते हुए सिलेक्ट कमेटी ने खामियां गिनवाई तो तपोवन में सरकार ने बिल को वापस लिया।

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