सत्ता में बैठे नेताओं पर नकेल डालने के लिए सरकार नया लोकायुक्त एक्ट लेकर आई मगर भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए ये कानून अभी तक प्रदेश में लागू नहीं हो पाया है। विधानसभा में औपचारिकताएं पूरी होने के बाद राष्ट्रपति ने भी नया लोकायुक्त कानून लागू करने की मंजूरी दी है। सात महीने निकल चुके हैं लेकिन राज्य लोकायुक्त की बैवसाइट पर पुराना एक्ट टंगा हुआ है। भ्रष्टाचार के मामलों में सरकारी सेवाओं व जनप्रतिनिधियों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार की कथनी-करनी में अंतर दिख रहा है। किसी भी तरह के मामलों की छानबीन करने के लिए लोकायुक्त के पास अभियोजन निदेशक नहीं है। इसी तरह से जांच निदेशक की नियुक्ति नहीं हो पाई है। करीब एक साल पहले लोकायुक्त कार्यालय ने चार पद डाटा आपरेटर के मांगे थे। नए कानून के अधीन जांच करने के लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं मिला है। नए अधिनियम के तहत प्रावधान तय नहीं किए गए हैं। इतना ही नहीं लोकायुक्त भवन के निचले हिस्से में जमीन धंसने से भवन को खतरा पैदा हो गया है। कुल मिलाकर सरकार नया लोकायुक्त कानून तो लेकर आ गई है मगर इस कानून को अमलीजामा पहनाने के लिए पुख्ता मशीनरी उपलब्ध नहीं है। लोकायुक्त की ओर से हर साल सरकार को सालाना रिपोर्ट दी जाती है। जिसके अलावा लोकायुक्त अभी तक व्यवहारिक स्वरूप नहीं ले पाया है।
बेवसाइट पर पुराना एक्ट
लोकायुक्त की बैवसाइट सरकार के दावों की पोल खोल रही है। बैवसाइट तीन साल से अपडेट नहीं की गई है। कई अधिकारी व कर्मचारी सेवानिवृत हो चुके हैं। लेकिन उनका नाम बैवसाइट पर चल रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि अभी तक नया एक्ट अपलोड नहीं किया जा सका है। लोकायुक्त कार्यालय के अधिकारी लाचारी में कहते हैं कि हमारे पास एक्सपर्ट नहीं है। बैवसाइट को अपडेट करने के लिए इलैक्ट्रानिक निगम को पत्र लिखा है। चार डाटा आपरेटर के पदों के लिए सरकार को पत्र लिखा है। अभी तक सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
कब मिलेंगे दो निदेशक
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही सरकार को दो निदेशक नियुक्त करने थे। एक भियोजन व दूसरा जांच निदेशक। अभी तक सरकार ने इस मामले में कोई विचार नहीं किया है।
मांगे तो मिलती है फोटो स्टेट
एक्ट की प्रति के लिए लोगों को कार्यालय आना पड़ता है। हालत ये है कि फोटो स्टेट कॉपी हाथ मेंं थमा देते हैं। जिसका अध्ययन कर लोग किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए दफ्तर के चक्कर काटते रहें।