राज्य वन्य प्राणी विंग ने शेरों आैर टाइगर के पेयर लाने का फैसला लिया है। इन्हें रेणुका सेंचुरी में रखा जाएगा। इसके लिए वन्य प्राणी विंग ने तैयारियां शुरू कर दी है। रेणुका में अधिकतर शेर एक ही फैमिली के होने के कारण इनमें इन ब्रीडिंग की समस्या आ रही है। अगली जेनरेशन स्वस्थ हो सके, इसके लिए दूसरे परिवार के शेरों के लाया जा रहा है। इनके साथ ही एक टाइगर का पेयर भी लाया जा रहा है। इसके बदले में राज्य वन्य प्राणी विंग की आेर से तेंदुए को भेजे जाने के बारे में विचार कर रही है।
राज्य के चिड़ियाघरों में तेंदुए की संख्या ज्यादा होने के कारण इन्हें दूसरे राज्यों के जू में भेजा जा सकता है। वन्य प्राणी विंग की आेर से केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजैडए) को इसका प्रस्ताव मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सीजैडए से इसकी स्वीकृति मिलते ही राज्य के चिड़ियाघरों से तेंदुएं बाहर भेजे जाने हैं। वन्य प्राणी विंग ने हाल ही में गुजरात का दौरा कर वहां से शेरों के बारे में सारी जानकारियों और उनके रहने के इंतजाम को लेकर तैयारियाें के बारे में प्लान तैयार कर दिया है। इसके अलावा बनेरगटा से टाइगर का जोड़ा लाने के बारे में भी तैयारी पूरी कर ली है।
पहले कुफरी में लाए थे स्नो लैपर्ड का पेयर
राज्य वन्य प्राणी विंग इससे पहले एक दशक पहले दार्जलिंग से स्नो लैपर्ड का जोड़ा कुफरी लाए थे। इनमें से मेल स्नो लैपर्ड की मृत्यु होने के बाद फी मेल को वापस दार्जलिंग भेजा गया था। इस बार वन्य प्राणी विंग बाहर से लाए शेरों की अगली जेनरेशन को गोपालपुर सहित अन्य चिड़ियाघर में रखने के साथ ही ब्रीडिंग कार्यक्रम के तहत लाने की तैयारी में है। इन्हें बाद में राज्य के अन्य चिड़ियाघरों में भी भेजा जा सकता है।
रेणुका के शेरों में क्या है समस्या
रेणुका के शेरों के अब एक ही परिवार के सदस्य होने के कारण इन ब्रीडिंग की समस्या आ रही है। अगली जेनरेशन के अधिकतर शेरों की अगली टांगे में कुछ छुकाव है। इससे यह पूरी तरह से स्वस्थ्य नहीं दिखाई देते हैं। इस समस्या को खत्म करने के लिए वन्य प्राणी विंग ने दूसरे परिवार के शेरों को लाने की तैयारी की है। ताकि आगे की जेनरेशन पूरी तरह स्वस्थ हो सके।
रेणुका में एक जोड़ा शेर और एक जोड़ा टाइगर का लाने को लेकर तैयारियां की जा रही है। शेरों का पेयर गुजरात से लाया जाएगा जबकि टाइगर बनेरगटा से लाया जाएगा।
जेएस वालिया, पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ
