राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का शिमला से रहा है घनिष्ठ संबंध

0
967

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का शिमला से घनिष्ठ नाता रहा है। जब पहली बार उन्होंने यहां की धरती पर कदम रखा था। तभी से प्रदेश के लोग उनके विचारों से ओत-प्रोत हैं। भले ही आजादी की लड़ाई में यहां का कोई विशेष योगदान न रहा हो, लेकिन प्रजामंडल में ताकत फूंकने वाले वहीं थे। उस समय के लोगों को एकजुट रहने का पाठ पढ़ाने वाले गांधी से प्रभावित लोगों ने ही आगे चल कर प्रजामंडल आंदोलन को खड़ा किया था। इसकी नींव ईदगाह मैदान की जनसभा से रखी गई थी। जिसके बाद गांधी समरहिल के साथ लगने ग्रामीण क्षेत्र चायली में भी गए थे। जहां पर एक छोटे से मैदान में लोगों की मौजूदगी में वार्तालाप हुआ था। जिसे लोग कुछ अरसा पहले तक गांधी ग्राउंड तक जानते थे। अब यहां पर पंचायत का सामुदायिक भवन खड़ा हो गया है। ऐसा भी कहते हैं कि गांधी इस क्षेत्र के साथ सटे आंजी गांव में भी गए थे। इतिहास में प्रजामंडल आंदोलन ऐसे अंकित है कि इसके किस्से लोगों को आज भी उत्साहित करते हैं। वैसे तो जब भी गांधी शिमला आए, वह मैनर विल्ले में ही ठहरते थे। एक चक्कर स्थित शांति भवन में रुके थे। इसी तरह से उनके कदम चैड़विक हाऊस में भी पड़े थे।

गांधी की हिमाचल यात्रा
आगमन उददेश्य
– 12 मई 1921 वॉयराय से भेंट।
ईदगाह मैदान में जनसभा को संबोधित किया।
– 11 मई 1931 से भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों व अंग्रेज सरकार के मध्य अस्थाई शांति संबंधी धाराओं का अंग्रेज सरकार
की ओर से उल्लंघन करने पर लॉर्ड विलिंगडन से चर्चा।
– 13 जुलाई 1931 वॉयसराय विलिंगडन से चर्चा करने के लिए।
से 22 जुलाई 1931
– 25 अगस्त 1931 वॉयसराय से बातचीतव नमक कानून पर जॉर्ज सुस्टर से चर्चा।
से 27 अगस्त 1931
– 29 जून 1940 द्वितीय विश्व युद्ध के संदर्भ में भारतीय पक्ष प्रस्तुत करने के लिए।
– 27 सितंबर 1940 वॉयसराय को अवगत से 30 सितंबर 1940 कराने के लिए कि युद्ध भारत के लोगों पर थोपा गया।
– 23 जून 1945 से वेवल प्लान पर शिमला कांफ्रेंस जिसे सर्वदलीय बैठक के नाम से जाना जाता है, इस बैठक में भाग लेने आए।
17 जुलाई 1945

-2 मई 1946 से कैबिनेट मिशन सम्मेलन में भाग लिया। जिसमें क्रिप्स प्रस्ताव पर चर्चा की।
14 मई 1946

ईदगाह में गांधी का संबोधन
जब पहली मर्तबा महात्मा गांधी शिमला आए थे तो ईदगाह मैदान में जनसभा को संबोधित किया था। ये वह वक्त था, जब देश पर अंग्रेजों की सत्ता चरम पर थी। उस समय जनसभा में शामिल होने वाले लोग आसपास के ग्रामीण इलाकों ने पैदल चल कर आए थे। यही कारण है कि आने वाले समय में आजादी की चिंगारी को पहाड़ी क्षेत्रों में भी हवा मिली। गांधी के शब्दों से प्रभावित लोगों ने हर जगह संगठित होना शुरू किया।

10 बार आना हुआ शिमला
महात्मा गांधी का शिमला में दस बार आना हुआ था। पहली बार सन 1921 में यहां पर आए थे। उसके बाद देश को आजादी मिलने तक लगातार यहां पर आते रहे। हर बार वॉयसराय से चर्चा करने के लिए यहां पर आए। यंू कहा जाए कि स्वतंत्रता आंदोलन को अंग्रेज हुकूमत से सीधा संवाद गांधी जी का रहा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here