उमंग फाउंडेशन ने दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल ब्लड बैंक द्वारा बड़ी मात्र में रक्त फेंके जाने के मामले को स्वास्थ्य निदेशक द्वारा बिना जाँच के रफादफा किए जाने के खिलाफ मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को पत्र लिखा है। पत्र में इस गंभीर मामले की उच्च स्तरीय जाँच कराने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई है। जांच न कराये जाने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। उसका कहना है कि प्रदेश भर में ब्लड बैंकिंग व्यस्वस्था खुद बुरी तरह बीमार है।
मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने कहा कि स्वास्थ्य निदेशक बलदेव ठाकुर ने डीडीयू अस्पताल द्वारा 21 यूनिट रक्त फ़ेंक दिए जाने जैसे अत्यंत गंभीर मामले की जांच ही नहीं कराई। ये मामला 15 मई को उमंग फाउंडेशन ने उजागर किया था। इसके बाद स्वास्थ्य निदेशक ने डीडीयू ब्लड बैंक के बारे में। अस्पताल की मेडिकल सुप्ररिन्टेंडेंट से रिपोर्ट तलब की और मामले को रफादफा कर दिया क्योंकि वे दोषियों को बचाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि मीडिया को दिए बयानों में निदेशक ने रक्त फेंके जाने की बात मानते हुए इसे ब्लड बैंकों की रूटीन कार्यवाही करार दिया था। निदेशक का तर्क था कि रक्त “एक्सपायर” हो चुका था, इसलिए फेंकना ज़रूरी था। उन्होंने यह भी कहा था कि ब्लड बैग में रक्तदाता से कम रक्त की मात्रा लिए जाने के कारण भी रक्त फेंका गया।
अजय श्रीवास्तव ने कहा कि निदेशक के दोनों तर्क हास्यास्पद हैं और दोषियों को बचाने का प्रयास भर हैं। सवाल यह है कि डीडीयू के ब्लड बैंक ने अतिरिक्त रक्त को आईजीएमसी ब्लड बैंक को समय पर ट्रांसफर क्यों नहीं किया और 35 दिन की मियाद पूरी होने और 21 यूनिट रक्त के बर्बाद होने का इंतज़ार क्यों किया? उन्होंने डीडीयू अस्पताल से तलब की गई रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की भी मांग की।
उन्होंने कहा कि ब्लड बैग में रक्तदाता से कम रक्त लेना अपवाद होता है और इस रक्त को 35 दिन तक रखने के बजाय तुरंत नष्ट कर दिया जाता है। उनका कहना था कि डीडीयू ब्लड बैंक और स्वास्थ्य निदेशक ने राज्य के लाखों रक्तदाताओं की भावनाओं को चोट पहुंचाई और नाजुक मरीजों तक रक्त पहुँचाने की बजाए उसे डस्टबिन के हवाले कर दिया। इस गंभीर मामले को किसी भी हालत में रफादफा नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की और कहा कि जांच न होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की जायेगी।