देश की प्राचिनतम पुस्तकालयों में से एक शिमला की स्टेशन लाइब्रेरी की रेयर बुक्स को अभी भी गांधी भवन स्थित लाइब्रेरी संजोए हुए है। गांधी भवन लाइब्रेरी में प्रदेश की पहली खोली गई स्टेशन लाइब्रेरी जो कि 1844 में खोली गई थी का संग्रह रखा गया है। 1844 में रिज मैदान में अंग्रेजों ने लाइब्रेरी खाेली थी। रेयर बुक्स के लिए प्रसिद्ध इस लाइब्रेरी में ब्रिटिश कालिन स्टेशन लाइब्रेरी की रेयर बुक्स को रखा गया है। वर्तमान में इस लाइब्रेरी में 40 हजार के करीब पुस्तकें हैं। इनमें से 16 हजार पुस्तकें प्रदेश में खाेली गई पहली लाइब्रेरी स्टेशन लाइब्रेरी से लाई गई हैं। इसके अलावा इस दुर्लभ लाइब्रेरी में म्यूनिसिपल लाइब्रेरी की रेयर बुक्स को भी रखा गया है। इनमें से कुछ पुस्तकें ऐसी हैं जो कि अंग्रेज लगभग 150 वर्ष पहले अपने साथ लाए थे और उनमें से कुछ पुस्तकें 17 वीं सदी से भी पुरानी हैं। इन रेयर बुक्स को आज भी सही हालत में देखा जा सकता है। लाइब्रेरी में तैनात सहायक लाइब्रेरियन मनोज कुमार ने बताया कि इस लाइब्रेरी में रेयर बुक्स हैं और इनमें से कुछ ऐसी भी किताबें हैं जो हैंड रिटन हैं और शायद पुरे विश्व में इकलौती हों। इसके अलावा यहां पर उर्दु, फ्रैंच, जर्मन, इंग्लिश, रशियन, चाइनिज और अन्य कई लैंग्वेंज पर लिखी गई कई एतिहासिक पुस्तकें मौजूद हैं।
आजकल किताबों की रिस्टोरेशन का चला है काम
किताबों की इस रेयर कलेक्शन को सहजने के लिए आजकल शिक्षा विभाग की �”र से किताबों की रिस्टोरेशन का कार्य चला हुआ है। जिस भवन में इस रेयर क्लेक्शन को रखा गया है उस भवन की हालत भी दयनिय है इसलिए इन्हें सहेजने का कार्य आजकल जारी है। किताबों की रिस्टोरेशन के लिए शिक्षा विभाग ने आठ लाइब्रेरियन और अन्य कर्मचारियों को काम में लगाया है ताकि इस एतिहासिक खजाने को भविष्य के लिए बचाया जा सके।
1844 में बनी थी प्रदेश की पहली लाइब्रेरी
इस रेयर लाइब्रेरी में रखी गई एक पुस्तक में शिमला शहर के बसने के बारे में महत्वपूर्ण लेख लिए गए हैं। ट्रैकर न्यू गाइड टू शिमला नाम की इस पुस्तक में लिखा गया है कि प्रदेश में पहली लाइब्रेरी 1844 में क्राइस्ट चर्च के साथ स्टेशन लाइब्रेरी के रूप में की गई थी। इस लाइब्रेरी की स्थापना मि. बैरेट ने की थी। इस दौरान इस लाइब्रेरी में 16 हजार पुस्तकों को संग्रहित किया गया था। लाइब्रेरी के 800 के करीब मेंबर थे।
लाइब्रेरी से 15 दिनों के लिए किताबें लेने के लगते थे 3 रुपए
स्टेशन लाइब्रेरी से 1844 के दौरान 15 दिनों के लिए किताब लेने के एवज में तीन रुपए देने पड़ते थे। इसके अलावा एक महिने के लिए किताबें लेेने के लिए 5 रुपए, 3 तीन महिनों के लिए 13 रुपए और एक सीजन जो की 1 मार्च से शुरू होकर 15 नवंबर तक चलता था के लिए किताबें लेने के लिए 30 और एक साल के लिए 40 रुपए किराया लगता था। उस दौरान लाइब्रेरी से एक कार्ड पर पांच किताबें दी जाती थी जबकि वर्तमान में लाइब्रेरी से केवल तीन ही किताबें एक समय में निकाली जा सकती हैं।
लाइब्रेरी में कुल 40 हजार के करीब किताबें हैं और इनमें से 16 हजार पुस्तकें रेयर बुक्स हैं। किताबों की रिस्टोरेशन का कार्य आजकल प्रगति पर है और इसके लिए शिक्षा विभाग की �”र से कर्मचारियों को भेजा गया है।
मीना कुमारी, अस्सीटैंट लाइब्रेरीयन, गांधी भवन लाइब्रेरी