देश की चाल चला शिमला – धर्माणी

0
925
Mahinder Dharmani
बीजेपी के लिए आखिरकार शिमला में 31 साल का सियासी सूखा खत्म हो गया। पार्टी के सिर पर नगर निगम की सत्ता का ताज सज गया। राजधानी की जनता ने जयश्री राम किया। वहीं लाल बिग्रेड का काम तमाम करते हुए कमल को सलाल ठोंका। अब ऐतिहासिक शहर शिमला में बीजेपी की ‘सरकार’ चलेगी। बेशक राज्य में कांग्रेस की सरकार है। लेकिन सूबे की सत्ता के सेमीफाईनल के तौर पर देखे जा रहे निगम चुनाव में पार्टी ने कांग्रेस के मजबूत किले में कमल खिला दिया है। बीजेपी की जीत की रूपरेखा लिखने में एक शख्स से अहम किरदार निभाया। वो शख्स कोई और नहीं स्वभाव से सरल और संगठन मामलों में सख्त बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता महेंद्र धर्माणी हैं। वह खामोशी के साथ संगठन की टीम को साथ लेकर ‘मिशन’ शिमला के कार्य में दिनरात जुटे रहे।
धर्माणी का तालुक बिलासपुर के घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र से हैं, घुमारवीं के इस लाल ने शिमला मैं ऐसा धमाल मचाया के कमल खिलाकर ही दम लिया। नगर निगम के इतिहास में पहली बार बीजेपी के सिर पर सत्ता का ताज सजा है तो इसे सजाने वाले कुशल सियासी हाथ धर्माणी के ही रहे हैं। उन्होंने संगठनात्मक कौशल के बूते कारगर चुनाव जीतने का ऐसा चक्रव्यूह रचा जिसे कांग्रेस के वीरभद्र सिंह सरीखे सियासत के सूरमा भी नहीं भेद सके। यह संघ के अनुशासन और समर्पण में तपे तपाए नेता की बदौलत ही संभव हो पाया। निगम में कुल 34 वार्डों में से बीजेपी ने अपने बूते 17 सीटें जीतीं। एक निर्दलीय भी पार्टी की ही विचारधारा का था। एक अन्य निर्दलीय ने बीजेपी का दामन थामा। बहुमत का आंकड़ा पार्टी समर्थित पार्षदों के हाथ आ गया। नतीजतन पहली बार शिमला में निगम में भगवा राज’ कायम हो पाया। मेयर और डिप्टी मेयर दोनों भाजपा के बनें। कसुम सदरेट मेयर और राकेश शर्मा डिप्टी मेयर बने हैं।
राज्य सरकार ने पार्टी सिंबल पर चुनाव न करवाने का बड़ा दांव खेला था। 1986 के बाद पहली बार ऐसा हुआ जब चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं हुए। ऐसा देश भर में चल रही मोदी लहर से डर से किया गया। बीजेपी की शिमला में हुई मोदी रैली में उमड़े जन सैलाब से वीरभद्र सरकार हिल गई थी। कांग्रेस आरंभ से ही कन्फ्यूज़्ड रही। न कोई स्प्ष्ट नीति और न सही नीयत रही। सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ता भी अलसाये नजर आए। कांग्रेस का संगठन गौण ही रहा। अग्रिम मोर्चे पर सरकार और इसके मुखिया मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह लड़े। एक फाईटर की तरह। आधी रात को भी जनसभाएं की। हालांकि जनसभाओं में बहाया पसीना भी काम नहीं आया। निगम की सत्ता कांग्रेस के हाथ से निकल गई। अब कांग्रेस सरकार और संगठन हार का ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ रहे हैं।
दूसरी तरफ बीजेपी में टीम ने कार्य किया। चुनाव के प्रभारी पूर्व मंत्री डॉ. राजीव बिंदल को बनाया गया था। सहप्रभारी महेंद्र धर्माणी ने प्रभारी से भी बड़ी ज़िम्मेवारी निभाई। उन्हें 18 वार्डों की ज़िम्मेवारी दी गई थी। उन्होंने शिमला विधानसभा के इन वार्डो में से 11 में धमाकेदार जीत दर्ज करवाई। जबकि तीन सीटें मामूली अंतर से हारी। वर्ष 2012 में इस हलके में पार्टी को 37 प्रतिशत वोट मिला था। अब निगम चुनाव में यह बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया है। धर्माणी कहते हैं शिमला भी देश के चाल चला है। उन्होंने अपनी टीम में संगठन के पुराने कार्यकर्ताओं जोड़ा। इन पर पूरा भरोसा जताया। जन संपर्क अभियान से लेकर मोदी तक की रैली के लिए जमीनी स्तर पर संगठित होकर कार्य किया। बहरहाल, धर्माणी पर्दे के पीछे जीत के बड़े नायक बन कर उभरे हैं। बहुत संभव में पार्टी निकट भविष्य में उन्हें संगठन में और बड़ी ज़िम्मेवारी दें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here