दुनिया से गए तो क्या, सरोग से शायद ही जा पाएँ कलाम साहब

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07/02/2013 - CHENNAI: Former President A P J Abdul Kalam addressing the gathering during the ThinkEdu Conclave - Express Photo. [Tamil Nadu, Former President, A P J Abdul Kalam, ThinkEdu Conclave 2013, Chennai]
07/02/2013 – CHENNAI: Former President A P J Abdul Kalam addressing the gathering during the ThinkEdu Conclave – Express Photo. [Tamil Nadu, Former President, A P J Abdul Kalam, ThinkEdu Conclave 2013, Chennai]

महान वैज्ञानिक, चिंतक और लोकप्रिय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के अकस्मात निधन से वैसे तो सारा देश और प्रदेश ही मातम मे हैं लेकिन शिमला से करीब तीस किलोमीटर दूर बसे छोटे खूबसूरत गाँव सरोग मे तो वीरानी छा गयी है। यही वो गाँव है जहां से कलाम साहब ने अपने पहले हिमाचल दौरे की शुरुआत की थी। वो दिसम्बर 2004 का एक सर्द दिन था बाद दोपहर का इंतज़ार शाम मे तब्दील हो चुका था। लेकिन सरोग वाले थे की जमे हुये थे आखिर ये दिन उनके लिए इतिहास लेकर जो आनेवाला था जब राष्ट्रपति स्वनी वहाँ कदम धरणे आ रहे थे। और सूरज डूबने के साथ जब राष्ट्रपति कलाम वहाँ पहुंचे तो अचानक सारा वतरवान अजीब से गर्मजोशी से भर गया था। अपने स्वभाव के अनुरूप कलाम साहब गांववालों से ऐसे मिले थे जैसे यहीं के हों पर बरसों बाद लौटे हों। दो घंटे तक खूब बातें हुयी। नाटीका दौर चला।

कलाम को हिमाचल की लोक संस्कृति से रू-ब-रू करवाने के लिए ठोडा खेला गया। चोल्टू नृत्य पेश किया गया। बाद में राष्ट्रपति कलाम ने स्थानीय गायक किशन वर्मा के पास जाकर उनके कांधे पर हाथ रख तारीफ भी की थी। उन्होंने चोल्टू नृत्य व ठोडा खेल की प्रस्तुति देने वालों से भी मिलकर तस्वीरें खिंचवाईं। को भी जमकर सराहा था। कड़ाके की सर्दी के बावजूद एपीजे अब्दुल लंबे समय तक रात घिरने तक वहां मौजूद रहे थे। सरोग कस्बे की उस सामी की सबसे बड़ी दिक्कत ये थी गाँव मे पौजल की भरी किल्लत थी, गाँव के बीचों बीच स्थित एकमात्र तालाब ही हर तरह के जलापयोग का साधन था जो निश्चित ही सोचनीय बात थी। कलाम ने ।

कलाम की उस यात्रा का लाभ ये हुआ कि सरोग गांव की पेयजल की समस्या दूर हुई और रोड़ भी दुरुस्त हुआ था।उनके आने के बाद मिली मशहूरी को कुछ युवाओं ने स्वरोजगार से जोड़ा और आज आधा दर्जन के करीब होम स्टे भी बन गए हैं। धीरे धीरे एक दशक मे सरोग मे काफी कुछ बदला है लेकिन दिलचस्प बात ये की इस बदलाव के लिए लोग स्थानीय सरकार या नेताओं को नहीं बल्कि कलाम साहब को ही धन्यवाद देते हैं। गाँव के बुद्धिजीवी सुंदर लाल वर्मा के अनुसार कलाम दुनिया से भले ही चले गए हों, सरोग से कभी नहीं जा सकते क्योंकि वो हर सरोगवासी के दिल मे बस्ते हैं।
इसके अलावा भी कलाम कई दफा हिमाचल आए थे। वे कांगड़ा में चौधरी सरवण कुमार कृृषि विश्वविद्यालय सहित सोलन स्थित शूलिनी विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित कर चुके हैं। उनके प्रदेश विधानसभा सत्र के सम्बोधन को याद कर उस समय के विधानसभा अध्यक्ष गंगुराम मुसाफिर आज भी गौरवान्वित महसूस करते हैं। मुसाफिर के अनुसार उनके समीप खड़े होने से ही एक अदृश्य ऊर्जा का एहसास होता था।

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