मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हिमाचल निर्माता डॉ. वाई.एस. परमार को याद करते हुए कहा कि डॉ. परमार प्रख्यात राजनेता होने के अलावा एक महान दूरदर्शी तथा गतिशील नेता थे, जिन्होंने लोगों के विकास के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर किया। उन्होंने यह बात शिमला के ऐतिहासिक रिज पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. वाई.एस. परमार की 111वीं जयन्ती के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अपिर्त करते हुए कही। उन्होंने इसके उपरांत विधानसभा में डॉ. परमार की जयंती मनाने के लिए आयोजित समारोह में भी शिरकत की।
मुख्यमंत्री के साथ राज्य कांग्रेस पार्टी मामलें प्रभारी श्री सुशील कुमार शिंदे, बिहार के सुपॉल से सांसद व हिमाचल कांग्रेस समिति की सह-प्रभारी श्रीमती रंजीत रंजन, एआईसीसी सचिव श्रीमती आशा कुमारी, मंत्रिमण्डल सहयोगी, मुख्य संसदीय सचिव, सत्ता एवं विपक्ष के विधायक, विभिन्न बोर्डों व निगमों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के अतिरिक्त राज्य सरकार के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि डॉ. वाई.एस. परमार के नेतृत्व में किए गए संघर्ष की बदौलत ही इस पहाड़ी राज्य को अलग पहचान, आकार तथा अपने प्रारम्भिक वर्षों में विकास के लिए सुदृढ़ आधार मिला। प्रदेश को पूर्ण राज्यत्व प्राप्त होने से पहाड़ी लोगों को अपनी पहचान बनाते हुए देखने की आकांक्षा रखने वाले डॉ. परमार, के सपनों को पूरा करने के लिए विकास को गति मिली। डॉ. परमार प्रदेश के भविष्य के प्रति स्पष्ट सोच रखते थे तथा इस मुश्किल लक्ष्य को केन्द्रीय नेतृत्व से पूर्ण राज्यत्व के लिए किए गए संर्घष व पैरवी के उपरांत 1971 में प्राप्त किया गया। उन्होंने कहा कि डॉ. परमार द्वारा पूर्ण राज्यत्व से सम्बन्धित मामले उठाने को कुछ लोगों द्वारा हल्के में लिया गया, परन्तु उन्होंने इन सपनों को संघर्ष कर हासिल किया।
मुख्यमंत्री ने राज्य द्वारा प्राप्त की गई सभी उपलब्धियों का श्रेय डॉ. परमार द्वारा दर्शाए गए मार्ग को देते हुए कहा कि प्रदेश के लोग राज्य को एक अलग राजनीतिक पहचान दिलाने के लिए उनके द्वारा किए गए अथक प्रयासों के सदा आभारी रहेंगे। हि.प्र. विधानसभा के अध्यक्ष श्री बृज बिहारी लाल बुटेल ने कहा कि डॉ. परमार को मानव मनोविज्ञान का अपार ज्ञान था तथा उन्होंने हिमालयन बहुपति प्रथा में शोध भी किया। वह एक महान साहित्यिक थे तथा सदैव पाठन तथा लेखन में विश्ेष रूचि रखते थे।