कोच को लेकर चल रही किच-किच से हतोत्साहित भारतीय हाकी टीम हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को ब्रिटिश संसद द्वारा सर्वोच्च सम्मान दिये जाने से आनंदित है और नयी ऊर्जा महसूस रही है। शिमला से साठ किलोमीटर दूर शिलारू मे स्थित देश के सर्वाधित ऊंचे मैदान पर अत्यधिक ऊंचाई पर खेल का अनुभव ले रही पूरी टीम के लिए मेजर ध्यानचंद को ब्रिटिश संसद मे भारत गौरव दिया जाना भारतीय हाकी के लिए दिया गया सम्मान प्रतीत हो रहा है और अब सबकी एक ही राय है की बिना बिलंब हाकी के जादूगर को भारत रत्न प्रद्त किया जाए। हाकी टीम के कप्तान सरदारा सिंह के मुताबिक़ ये भारतीय हाकी के लिए अकूत सम्मान और गौरवान्वित करने वाले क्षण हैं।
इससे एकबार फिर भारतीय हाकी के स्वर्णिम अतीत मे जाने का मौका मिलता है। हम ऐसा ही कर रहे हैं और उन दिनो को लौटने के लिए नए सिरे से प्रतिवद्ध हैं। सरदारा सिंह का मानना है की अब बिना देरी किए उन्हें भारत रत्न से नवाजा जाना चाहिए। सरदारा के डिप्टी सृजेश के मुताबिक़ मेजर ध्यानचंद आज भी भारतीय हाकी के ब्रांड हैं और उनके नाम मात्र से ही लोग भारतीय हाकी को याद करते हैं। उनको देश के बाहर मिले इस सम्मान से अब भारत रत्न दिये जाने का मार्ग और साफ हो जाना चाहिए। मिड फील्डर रघुनाथ के अनुसार हमारे देश को मेजर ध्यान चंद को मिले इस सम्मान से गौरव महसूसना चाहिए और बिना बिलंब उनके लिए भारत रत्न की घोषणा होनी चाहिए। ऐसा होने से निश्चित तौर पर हाकी को नया संबल हासिल होगा।