जल विद्युत निगम लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा ने आज शिमला में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि साल 1988 में बने सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड साल 2023 तक 5000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इसके अलावा निगम का लक्ष्य है कि साल 2030 तक 12 हज़ार मेगावाट और साल 2040 तक 25 हज़ार मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाए। इस योजना से न केवल देश प्रदेश को लाभ होगा बल्कि एक नए युग का सूत्रपात होगा। इतने बड़े पैमाने पर विद्युत परियोजनाओं का विकास देश के युवाओं के लिए रोजगार की दिशा में एक नया कदम होगा। एसजेवीएनएल को हिमालय की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में जल विद्युत परियोजनाओं के निष्पादन में गहन अनुभव है और 2019-20 आर्थिक वर्ष में 11759.31 करोड़ की कुल नेटवर्क के साथ एसजेवीएनएल के पास नई परियोजनाओं के विकास के लिए इक्विटी भाग के वित्त पोषण के लिए आवश्यक वित्तीय सामर्थ्य है। 4 नवंबर को हिमाचल प्रदेश के लिए केंद्र सरकार द्वारा 210 मेगावाट लूहरी स्टेज-1 जल विद्युत परियोजना को मंजूरी दी गई है। इस परियोजना के निर्माण से हिमाचल प्रदेश के शिमला और कुल्लू जिले के NH-5 के समानांतर नीरथ गांव में सतलुज नदी पर बिल्ड, ऑन ऑपरेट, मेंटेन यानी बूम के आधार पर कार्य शुरू किया जा रहा है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने एसजेवीएनएल की 210 मेगावाट दूरी स्टेज-1 जल विद्युत परियोजना के लिए 1810.56 करोड़ रुपए के निवेश की मंजूरी दे दी है। यह परियोजना “रन ऑफ द रिवर” किस्म की परियोजना है। जिसके अंतर्गत एक 80 मीटर ऊंचा और 225 मीटर लंबा और 8 मीटर चौड़ा कंक्रीट बांध बनाया जाएगा जिसमें 6 किलोमीटर का निर्माण होगा। इसके अंतर्गत 644 क्यूमैक्स जल प्रवाह का उपयोग 4 इंटेक्स के जरिए किया जाएगा जो 90 मीटर लंबे पेनस्टॉक से गुजरकर ट्राइबल में प्रवेश करेगा। सतलुज नदी के दाएं किनारे पर एक डैम दो विद्युत गृह की योजना है जिसमें 80 मेगावाट की दो मुख्य यूनिटें और प्रत्येक 25 मेगावाट की दो सहायक यूनिटें होंगी। इस परियोजना की गतिविधियों से लगभग 2 हज़ार लोगों को रोजगार मिलेगा। इस परियोजना से सालाना 758 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा और यह परियोजना 62 महीनों में पूरी की जाएगी। हिमाचल प्रदेश सरकार को इस परियोजना के 40 वर्षों के जीवन काल चक्र के दौरान 1050 करोड रुपए की निशुल्क बिजली का भी लाभ मिलेगा। परियोजना प्रभावित परिवारों के लिए 10 वर्ष की अवधि के लिए प्रतिमाह 100 यूनिट निशुल्क बिजली उपलब्ध करेगी। इस परियोजना के पूरा होने पर 6.1 टन कार्बन डाइऑक्साइड गैस का पर्यावरण से सालाना उत्सर्जन कम होगा। इस परियोजना से उत्पन्न बिजली ग्रिड के संतुलन में मदद करेगी और विद्युत आपूर्ति की स्थिति को सुधारने का काम करेगी। इसके अलावा 66 मेगावाट के धौलासिद्ध जल विद्युत परियोजना को भी मंजूरी दी गयी है।