आर्थिक संकट का खतरा, सरकार के हाथों से 600 करोड़ जाने का खतरा गहराया

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योजना आयोग का अस्तित्व खत्म होने के बाद अब राज्य सरकार पर आर्थिक संकट का खतरा मंडरा सकता है। अभी तक तो सरकार केंद्र से मिलने वाली सहायता के साथ-साथ अपने संसाधनों को जोड़कर सालाना योजना में पैसा लेती थी। इस तरह की व्यवस्था में प्रदेश केंद्र से अधिक धनराशि एठने में सफल रहती थी। लेकिन अब सरकार के सामने 600 करोड़ रुपये हाथ से जाने का खतरा पैदा हो गया है। यदि अगले वित्त वर्ष के लिए सालाना योजना का आकार 5800 करोड़ रुपये से कम रहता है तो सरकार के सामने विकट स्थिति पैदा हो जाएगी।

वित्त विभाग अगले वित्त वर्ष के लिए योजना तैयार करने में जुट गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सालाना योजना 5200 करोड़ रुपये की रहेगी। ऐसा इसलिए हो रहा है कि सरकार 12वीं योजना आकार को सही तरीके से खर्च करने में नाकाम रही है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि प्रदेश सरकार के हाथ से पैसा निकल गया हो। इससे पहले 10वीं पंचवर्षीय योजना में भी सरकार केहाथ से 1806 करोड़ रुपये निकल गए थे।

एसके शाद, पूर्व योजना सलाहकार ने बताया:

केंद्र सरकार ने प्रदेश को 72 हजार करोड़ रुपये दिए हैं। 14वें वित्तायोग से प्रदेश को मिलने वाले बजट में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ऐसे में सरकार के हाथ से लोगों के विकास के लिए आया हुआ पैसा निकल जाना चिंता का मामला है।

डा. श्रीकांत बाल्दी, अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा :

अब तो केंद्र सरकार ने पैसा सुनिश्चित कर दिया है। ऐसे में अब सरकार केंद्र से किसी प्रकार की सौदेबाजी नहीं कर सकती है। पहले योजना आयोग था, अब नीति आयोग ने कई तरह की स्पष्ट नीति तय की है।

 

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