अब हिमाचल में कर सकेंगे इंजीनियरिंग में पीएचडी

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Himachal Pradesh Technical University
इंजीनियरिंग के छात्रों को पीएचडी करने के लिए अब बाहरी राज्यों का पलायन करना जरूरी नहीं होगा। हिमाचल प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचपीटीयू) प्रदेश में ही इंजीनियरिंग में पीएचडी करवाने जा रहा है। यूनिवर्सिटी ने पिछले वर्ष प्रस्ताव तैयार किया था। इसे यूनिवर्सिटी के बोर्ड आफ गवर्नेंस ने भी अपनी मंजूूूूरी प्रदान कर दी है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पीएचडी की डिग्री शुरू करने को लेकर अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। यह पहला मौका है जब प्रदेश में ही छात्रों को इंजीनियरिंग में पीएचडी करने का मौका मिल सकेगा।
प्रदेश में 20 इंजीनियरिंग संस्थान
प्रवेश परीक्षा के आधार पर दािखला संस्थानों में मांगेंगे सीटों के अावेदन
पीएचडी में प्रवेश के लिए यूनिवर्सिटी की ओर से यूजीसी की गाइडलाइंस के तहत प्रवेश परीक्षा करवानी होगी। प्रवेश परीक्षा करवाने से पहले यूनिवर्सिटी संस्थानों में देखेगी की उसे कितनी सीटें अलॉट की जानी है। इसके बाद ही आवेदन मांगे जाएंगे और प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाएगा।
यूनिवर्सिटी से हर साल हजारों छात्र लेते हैं इंजीनियरिंग की डिग्री
प्रदेश में एचपीटीयू से संबंधित कॉलेजों से ही हर वर्ष 7 हजार के करीब छात्र इंजीनियरिंग करके निकलते हैं। इसके अलावा बाहरी राज्यों से भी इतने ही छात्र इंजीनियरिंग करते हैं। इनमें से कई छात्र एमटेक करते हैं। ऐसे छात्रों को यदि आग पीएचडी करनी हो तो इसके लिए उन्हें बाहरी राज्यों में जाना पड़ता है। लेकिन प्रदेश में ही पीएचडी करने का मौका मिलने से छात्रों को बाहरी राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा।
सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों को दी जाएगी अनुमति
हिमाचल प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी से संबंधित प्रदेश में 20 संस्थान हैं। इनमें से 17 गैर सरकारी और 3 सरकारी क्षेत्र में हैं। यूनिवर्सिटी पीएचडी करवाने की मान्यता देने से पहले संस्थानों में इन्फ्रास्ट्रक्चर आैर फैकल्टी की जांच करेगी। संस्थानों की ओर से आवेदन आने के बाद यूनिवर्सिटी की एक टीम संस्थान का दौरा करेगी और वहां पर पीएचडी करवाने संबंधी सभी तैयारियां देखेगी इसी के बाद संस्थान को मान्यता प्रदान की जाएगी।
यूनिवर्सिटी की ओर से इंजीनियरिंग में पीएचडी करने को लेकर प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। इसके लिए संबंधित संस्थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी को देखा जाएगा इसके बाद ही अनुमति प्रदान की जाएगी।
प्रो. आरएल शर्मा, वाइस चांसलर, एचपीटीयू

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