हिमाचल प्रदेश मैं अब सरकारी भूमि पर भांग की खेती चिन्हित होने पर वन विभाग के कर्मचारिओ पर एफ आई आर की जाएगी। सरकार ने राज्य मैं जारी नशे की खेती को नाथने के लिए ये सैदांतिक फैसला लिया है। हालांकि एफ आई आर का प्रयोग लास्ट आप्शन के तौर पर ही इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसा फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि पिछले कुछ साल से ये सामने आया है की नशे के सौदागर अब निजी के वजाए सरकारी भूमि पर भांग और अफीम की खेती करने लगे हैं। ऐसे मैं अगर पुलिस नशे की पौध को नष्ट भी करती है तो नशा उत्पादक साफ बच निकलते हैं।लेकिन अब सरकारी भूमि पर नशे की फसल पाये जाने पर ब्कायदा संबन्धित बीत इंचार्ज और रेंजर से जवाब तलब किया जाएगा की कैसे भांग या अफीम की फसल लहलहा गई। और यदि किसी स्तर पर पुलिस या नरकोटिक्स ब्यूरो को लगता है की संबन्धित अधिकारी की संलिप्तता बनती है तो एफ आई आर भी दर्ज की जा सकती है।
उल्लेखनीय है की साल दर साल पुलिस द्वारा चलाये जा रहे नशा नष्ट करने के अभियानो के चलते निजी भूमि पर भांग आदि की काश्त मैं भारी कमी आई है लेकिन इसके विपरीत सरकारी भूमि पर ये मामले बढ़ गए हैं। पिछले पाँच साल मैं पुलिस ने सरकारी भूमि से 23 हज़ार बीघा से भांग नष्ट की है जबकि निजी भूमि का आंकड़ा मात्र नौ हज़ार बीघा रहा है। इसी प्रकार निजी भूमि पर भांग उगाने को लेकर पाँच साल मेन 113 एफ आई आर दर्ज हुयी हैं जबकि सरकारी भूमि पर भांग उगाने के मामले मैं मात्र आठ एफ आई आर दर्ज हुयी हैं,और वो भी गैर सरकारी व्यक्तियों के खिलाफ । इससे आभास होता है की खुद को बचाने के लिए नशे के सौदागर इसे ढाल के तौर पर इस्तेमाल करके बच रहे हैं । इससे से पार पाने के लिए अब फैसला लिया गया है। सी आई डी और नरकोटिक्स विभाग के आई जी राकेश अग्रवाल के मुताबिक फसल के फैलाव के आधार पर पहले तो विभागीय कारवाई के लिए लिखा जाएगा और बार बार एक ही बीट मैं अगर अफीम या भांग उगी पाई जाती है तो फिर नशा निरोधक अधिनियम के तहत एफ आई आर की जाएगी।
उल्लेखनीय है की पिछले साल भी हिमाचल पुलिसने 1919 बीघा सरकारी भूमि से भांग नष्ट की थी जबकि निजी भूमि का आंकड़ा मात्र एक बीघा था। पुलिस इस बार भी अगस्त के पहले सप्ताह मैं भांग काटने का अभियान चलाने जा रही है।