देश के यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में अब अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे गाउन का इस्तेमाल नहीं होगा। इनकी जगह पर विशेष तौर पर हथकरघा से बने कपड़ों विशेषकर खादी का उपयोग करना होगा। इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव प्रोफेसर जसपाल एस. सन्धू ने सभी विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलरों को लेटर लिखा है।
प्रधानमंत्री ने जाहिर की थी मंशा
यूजीसी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा को ध्यान में रखते हुए सभी विश्वविद्यालयों से कहा है कि वे दीक्षांत समारोह और विशेष तरह के अवसरों पर औपचारिक पोशाक के लिए हथकरघा कपड़े के उपयोग करने पर विचार करें। साथ ही सभी संबद्ध कॉलेजों में भी हथकरघा को बढ़ावा देने के लिए पहली की जाए।
13 वीं सदी में शुरू हुई थी प्रथा
दीक्षांत समारोह में गाउन पहनने की परम्परा 13वीं शताब्दी में ब्रिटेन में पोप के प्रभाव से धार्मिक शिक्षा की शुरूआत से हुई। सबसे पहले ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में इसका प्रचलन शुरू हुआ। यह वहां के सर्द मौसम के अनुकूल था। जब अंग्रेजों ने भारत में यूनिवर्सिटी सिस्टम शुरू किया तो यह परम्परा भी चली आई।